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    दिल्ली की पेंट फैक्ट्री में आग, 11 लोगों की मौत

    दिल्ली की पेंट फैक्ट्री

    दिल्ली के अलीपुर में दयाल मार्केट में स्थित एक पेंट फैक्ट्री में गुरुवार, 15 फरवरी को आग लग गई थी। हादसे में देर रात तक 7 लोगों की मौत की खबर आई थी। शुक्रवार की सुबह, 8 मृतकों की संख्या 11 हो गई थी। इस दुर्घटना में 4 लोग घायल हुए थे, जिन्हें राजा हरिश्चंद्र अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

    आग लगने की सूचना मिलने पर फायर ब्रिगेड की 22 गाड़ियां मौके पर पहुंचीं। घटना शाम करीब 5:30 बजे की है। रात 9 बजे आग पर काबू पाया गया। पुलिस ने बताया कि फैक्ट्री में धमाके के बाद आग लगी। आग की लपटें इतनी तेज थीं, आसपास के कुछ घरों को भी नुकसान पहुंचा। अधिकारियों का मानना है कि फैक्ट्री में रखे केमिकल की वजह से ब्लास्ट हुआ।

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    दिल्ली में तीन रास्तों से आग बुझाने की कोशिश की

    घटनास्थल पर मौजूद एक प्रत्यक्षदर्शी सुमित भारद्वाज ने बताया- घटना गुरुवार शाम करीब 5.30 बजे की है। जैसे ही धमाका हुआ तो लोग बाहर इकट्ठा हुए। हमने बाल्टी से पानी डालकर आग बुझाने की कोशिश की। फिर फायर ब्रिगेड को कॉल किया। लेकिन आग नहीं बुझ रही थी। फायर ब्रिगेड की गाड़ियों ने तीन रास्तों से आग बुझाने की कोशिश की। फैक्ट्री करीब 8-10 साल पुरानी है।

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    हादसे के बाद घटनास्थल पहुंचे सुनील ठाकुर ने रोते हुए बताया, मेरा भाई भी पेंट फैक्ट्री में काम करता था। उसका नाम अनिल ठाकुर है। उसका कुछ पता नहीं चल रहा। शाम 5 बजे से फोन भी स्विच ऑफ आ रहा है। कोई कुछ भी बताने को तैयार नहीं है। 26 जनवरी को दिल्ली के शाहदरा इलाके में एक बहुमंजिला इमारत के ग्राउंड फ्लोर में आग लग गई थी। इस घटना में 9 महीने की बच्ची सहित चार लोगों की दम घुटने से मौत हो गई थी और दो घायल हो गए थे।

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    दो भयंकर आगामियों के संदर्भ में विवेचनात्मक समीक्षा

    वहीं, दिल्ली के पीथमपुरा इलाके में 18 जनवरी को चार मंजिला इमारत में आग लगने से 6 लोगों की मौत हो गई थी। मरने वालों में 4 महिलाएं थीं। 8 फायर ब्रिगेड से आग पर काबू पाया गया था। इमारत की पहली मंजिल में लगी थी। इससे ऊपर की तीन मंजिलों तक धुआं फैल गया था।

    राजेश अग्रवाल की यह पटाखा फैक्ट्री हरदा-मगरधा रोड पर है। करीब 20 साल पहले बैरागढ़ गांव में इसकी शुरुआत की थी। फैक्ट्री के लगने के बाद धीरे-धीरे यहां काम करने वालों समेत दूसरे लोगों ने घर बना लिए।

    फैक्ट्री में काम करने वाले करीब 40 परिवार भी यहीं पर अस्थाई निर्माण कर रहने लगे। फैक्ट्री का विस्तार करते हुए जो लाइसेंस मिला था, राजेश ने उससे ज्यादा बारूद का भंडार करना शुरू कर दिया। वर्कर्स को बारूद देकर घरों में भी पटाखों का निर्माण करवाने लगा था।

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