अयोध्या में राम मंदिर निर्माण लेकर स्वामी रामभद्राचार्य का बड़ा दावा, मोदी के मंत्री से हुई बात, 11 दिसंबर के बाद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पर बड़ा फैसला होगा।
अयोध्या, एजेंसी। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर सरकार पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है। चित्रकूट के तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने एक वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री से फोन पर हुई चर्चा के आधार पर दावा किया है कि 11 दिसंबर के बाद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पर बड़ा फैसला होगा और भाजपा ही मंदिर बनाएगी। बता दें कि अयोध्या में विवादित जमीन पर भव्य राम मंदिर निर्माण की हुंकार के साथ रविवार को विहिप की धर्मसभा व शिवसेना का ‘अयोध्या कूच’ निर्वघ्न संपन्न हुआ।
मंदिर निर्माण पर VHP, शिवसेना की दो टूक
रविवार को अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद की धर्मसभा में विहिप के उपाध्यक्ष चंपत राय ने भी मंदिर निर्माण को लेकर दो टूक कहा, ‘अयोध्या में हमें जमीन का बंटवारा मंजूर नहीं, हमें पूरी जमीन चाहिए।’ उधर, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भी केंद्र सरकार को चेतावनी देने में पीछे नहीं रहे। उन्होंने कहा, ‘मोदी सरकार अब चूकी तो 2019 में वह सत्ता में नहीं आएगी।’
राम के नाम रहा रविवार, शांति से बीतने पर राहत
पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के प्रचंड प्रचार के बीच गर्माए मंदिर मुद्दे और अयोध्या में लाखों भक्तों के पहुंचने से उपजी आशंकाएं तब निर्मूल साबित हो गई, जब राम के नाम रहा रविवार शांति से बीत गया। राम भक्तों के साथ संतों ने भी जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण का संकल्प दोहराया, लेकिन कोई उत्तेजना नहीं फैलाई।
शिवसैनिक भी लौटे, धर्मसभा में शांति से संपन्न
उधर, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे व उनकी पार्टी के हजारों कार्यकर्ता भी रामलला के दर्शन कर लौट गए। विहिप की धर्मसभा भी शांति से संपन्न हो गई।
‘मंत्री से हुई बात, 11 दिसंबर के बाद मंदिर निर्माण पर होगा बड़ा फैसला’
विहिप की धर्मसभा में संत रामभद्राचार्य ने मंच से बताया, ‘उनकी 23 नवंबर को एक वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री से फोन पर लंबी बात हुई है, मंत्री ने उनसे वादा किया है कि 11 दिसंबर (विस चुनाव की मतगणना व संसद सत्र की शुरुआत) के बाद प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल की बैठक करेंगे और सरकार मंदिर निर्माण का फैसला ले लेगी।’ उनकी इस घोषणा से धर्मसभा में ‘जय-जय श्रीराम’ के जयकारे गूंज उठे।
कुंभ-2019 में तय होगी तारीख
- धर्मसभा में ही निर्मोही अखाड़े के स्वामी रामजी दास ने कहा, ‘राम मंदिर निर्माण की तारीख प्रयागराज में होने वाले कुंभ-2019 में घोषित की जाएगी। तब तक धीरज रखें। चंद दिनों की बात है।’
- राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपालदास ने कहा, ‘अयोध्या में इतना विशाल जनसमुदाय एकत्रित होना साबित करता है कि इस मसले से कितने लोगों की आस्था जुड़ी है।’
‘जमीन से दावा वापस ले सुन्नी बोर्ड’
- विहिप के उपाध्यक्ष चंपत राय ने अपने भाषण में अयोध्या की पूरी विवादित जमीन मांगते हुए सुन्नी वक्फ बोर्ड से दावा वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि इस जमीन पर नमाज नहीं हो सकती है, यह भूमि जबरन छीनी गई थी। सरकार अपना संकल्प पूरा करे, कोई भी हमारे धैर्य की परीक्षा ना ले। कुछ लोग मानते हैं कि राम मंदिर का मसला बाबरी विध्वंस से शुरू हुआ है, जबकि यह विवाद 490 साल पुराना है। 25 साल बाद यहां जुटने की जरूरत इसलिए पड़ी है, क्योंकि देश के कथित बुद्धिजीवियों को यह भ्रम हो गया था कि मंदिर का मसला 6 दिसंबर, 1992 को खत्म हो गया है, जबकि यह आग अभी भी अंदर ही अंदर सुलग रही है।
सरकार बने ना बने, मंदिर जरूर बनना चाहिए : उद्धव
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने रविवार को रामलला के दर्शन किए, उन्होंने करीब 30 मिनट वहां बिताए। जिसके बाद मीडिया से चर्चा में उद्धव ने कहा, ‘किसी को भी हिंदुओं की भावना से नहीं खेलना चाहिए। यदि नरेंद्र मोदी सरकार इस बार चूक गई तो वह 2019 में सत्ता में नहीं आएगी। सरकार बने या ना बने, मंदिर जरूर बनना चाहिए। शिवसेना अयोध्या में जल्द मंदिर निर्माण के प्रति वचनबद्ध है, यदि केंद्र सरकार इस पर कोई विधेयक या अध्यादेश लाती है तो उनकी पार्टी उसका पूरा समर्थन करेगी। लोकसभा चुनाव नजदीक हैं और संसद का मात्र एक सत्र बचा है।
राम मंदिर अयोध्या में नहीं तो कहां बनेगा : भागवत
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी नागपुर में राम मंदिर निर्माण को लेकर हुंकार भरी और कहा, ‘न्याय में देर भी अन्याय है। जल्द राम मंदिर बनना चाहिए। समाज केवल कानून से नहीं चलता। राम मंदिर अयोध्या में नहीं तो कहां बनेगा। सत्य, न्याय टालते रहना ठीक नहीं। कोर्ट को जल्द फैसला देना चाहिए। राम मंदिर पर किसी का विरोध नहीं है। इसके लिए जल्द कानून बनाने की जरूरत है। यह साबित हो चुका है कि अयोध्या में भगवान राम का जन्मस्थान है।’
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन भागों में बांटी जमीन
ज्ञात हो कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित जमीन को तीन बराबर-बराबर भागों में बांटने का फैसला दिया था। उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। मामला अभी न्यायाधीन है।
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