सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए शिक्षा और नौकरियों में 10 फीसद आरक्षण के संविधान संशोधन विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।
यूथ फॉर इक्वैलिटी ने संविधान संशोधन को चुनौती देते हुए याचिका में कहा है कि यह संशोधन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है और आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता।
याचिका के मुताबिक विधयेक संविधान के आरक्षण दने के मूल सिद्धांत के खिलाफ है साथ ही यह सामान्य वर्ग को आरक्षण देने के साथ-साथ 50% के सीमा का भी उल्लंघन करता है। विधेयक सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देता है।
इससे पहले बुधवार को सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर तबकों को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में 10 फीसद आरक्षण पर राज्यसभा में भी मुहर लग गई।
लोकसभा के बाद राज्यसभा ने भी बुधवार को सामान्य वर्ग के गरीबों के आरक्षण संबंधी 124वें संविधान संशोधन विधेयक को पारित कर दिया।
बता दें कि मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर तबकों को आरक्षण देने के लिए विधेयक पेश किया था। जिसे कुछ पार्टियों को छोड़कर कांग्रेस सहित तमाम विपक्ष ने समर्थन दिया था।
सामान्य वर्ग के उन लोगों को इस आरक्षण का लाभ मिलना है, जिसके परिवार की वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम और जिनके पास खेती की जमीन 5 एकड़ से कम होगी।
राज्यसभा ने 7 के मुकाबले 165 मतों से सवर्ण गरीबों को आरक्षण देने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक को पारित किया।
इसमें हर धर्म के सामान्य वर्ग के लोग शामिल है। ऐसे लोगों को नौकरी और शिक्षा दोनों क्षेत्रों में इसका लाभ मिलेगा।
Comments are closed.