सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 2002 में गोधरा में एक ट्रेन के कोच में आग लगाकर 59 लोगों की हत्या के दोषी आठ लोगों को जमानत दे दी. सभी दोषियों को निचली अदालत और उच्च न्यायालय ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी. दोषियों को 17-18 साल जेल में बिताने के आधार पर जमानत दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत से मौत की सजा पाए चारों दोषियों की जमानत याचिका खारिज कर दी है.
13 मई, 2022 को अदालत ने दोषियों में से एक अब्दुल रहमान धंतिया को इस आधार पर अंतरिम जमानत दे दी कि उसकी पत्नी टर्मिनल कैंसर से पीड़ित थी और उसकी बेटियां मानसिक बीमारी से गुजर रही थीं. ग्यारह दिन बाद, 11 नवंबर, 2022 को अदालत ने उनकी जमानत 31 मार्च, 2023 तक बढ़ा दी.
पिछले वर्ष दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद काट रहे फारूक नाम के दोषी को इस आधार पर जमानत दे दी थी कि वह 17 साल की सजा काट चुका है और मामले में उसकी भूमिका ट्रेन में पथराव की थी.
गोधरा ट्रेन कांड
बता दें कि 27 फरवरी, 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगाई गई थी. कोच में कारसेवक सवार थे, जो अयोध्या से आ रहे थे. 58 लोगों की जलकर मौत हो गई थी. भारत के विभाजन के बाद गोधराकांड ने देश के सबसे वीभत्स सांप्रदायिक दंगे को जन्म दिया. मार्च 2011 में ट्रायल कोर्ट ने 31 लोगों को दोषी ठहराया, जिनमें से 11 को मौत की सजा सुनाई गई और बाकी 20 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. 63 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया गया था. 2017 में गुजरात हाई कोर्ट ने 11 दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया और अन्य 20 को दी गई उम्रकैद को बरकरार रखा था. दोषियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका 2018 से लंबित थी.