आज गांधी जयंती है, लेकिन दूसरी तरफ पूरी दुनिया रातभर से मिसाइल हमलों की आवाज़ों के बीच चिंतित नजर आ रही है। ईरान ने इजराइल पर 180 मिसाइलें दागी हैं, और इजराइल भी अब जवाबी कार्रवाई की तैयारी में है। इसी बीच, यूक्रेन-रूस युद्ध भी अभी तक थमा नहीं है। देश और दुनिया में अपराध भी लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में, अहिंसा के प्रतीक महात्मा गांधी के आदर्शों की याद स्वाभाविक रूप से आती है। अगर दुनिया उनके अहिंसा के सिद्धांतों पर चलती, तो शायद ये स्थिति न होती। गांधी जयंती पर जब AI से पूछा गया कि अगर महात्मा गांधी आज होते, तो क्या इजराइल-ईरान युद्ध रुक सकता था, तो ये जवाब मिला… आप भी जानिए…
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AI से क्या पूछा गया सवाल- क्या गांधीजी आज होते तो इजरायल और ईरान के बीच युद्ध रुक पाता?
यह एक दिलचस्प सवाल है, जिसका जवाब देना आसान नहीं है. महात्मा गांधी एक ऐसे व्यक्ति थे जिनकी अहिंसा और सत्य की ताकत ने दुनिया को प्रभावित किया, लेकिन आज के युद्ध का परिदृश्य बेहद जटिल है, जिसमें धर्म, राजनीति, इतिहास और आर्थिक हित जैसे कई कारक शामिल हैं.
गांधीजी के सिद्धांतों का महत्व
गांधीजी के सिद्धांत आज भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं, जितने पहले थे। अहिंसा और संवाद के माध्यम से समस्याओं का समाधान खोजना एक ऐसा दृष्टिकोण है, जो सदैव प्रासंगिक रहेगा। यदि गांधीजी आज होते, तो वे निश्चित रूप से इजरायल और ईरान के बीच के संघर्ष को शांति से हल करने की कोशिश करते। वे दोनों देशों के नागरिकों से अपील करते कि वे हिंसा को त्यागकर बातचीत के जरिए समाधान खोजें।
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आज की चुनौतियां हैं कुछ अलग
परमाणु हथियार: आज की दुनिया में कई चुनौतियाँ हैं जो गांधीजी के सिद्धांतों को लागू करना कठिन बनाती हैं। वर्तमान युद्धों में परमाणु हथियारों का खतरा हमेशा बना रहता है, जिससे अहिंसा का मार्ग अपनाना बहुत कठिन हो जाता है।
धार्मिक और जातीय तनाव: इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष धार्मिक और जातीय तनावों से भी प्रभावित है, जिन्हें समाप्त करना आसान नहीं है।
बड़ी शक्तियों का हस्तक्षेप: बड़ी शक्तियाँ अक्सर क्षेत्रीय संघर्षों में हस्तक्षेप करती हैं, जिससे स्थिति और अधिक जटिल हो जाती है।
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निष्कर्ष
गांधीजी के सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं, लेकिन उन्हें लागू करना आसान नहीं है। इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष को शांत करने के लिए दोनों देशों के लोगों को मिलकर काम करना होगा। उन्हें हिंसा छोड़कर बातचीत से समाधान खोजना होगा, लेकिन यह एक लंबी और कठिन प्रक्रिया होगी। अंततः, यह कहना मुश्किल है कि गांधीजी आज होते तो वे युद्ध रोक पाते या नहीं। लेकिन यह निश्चित है कि वे इस दिशा में हर संभव प्रयास करते। गांधीजी के सिद्धांतों का उपयोग किसी भी संघर्ष को हल करने में किया जा सकता है। अहिंसा और बातचीत हमेशा बेहतर विकल्प होती हैं।
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