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8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है, जो महिलाओं की विभिन्न क्षेत्रों में भागीदारी को बढ़ावा देने का प्रयास करता है. आज महिलाएं राजनीति, रक्षा, चिकित्सा, वित्तीय जैसे कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. भारत की आजादी के बाद कई महिलाओं ने अपने नेतृत्व, साहस, योगदान और दूरदृष्टि के साथ राजनीति में पहचान बनाई. इन महिला नेताओं ने न केवल अपने कार्यों से प्रसिद्धि हासिल की, बल्कि समाज में महिलाओं की भूमिका को भी सशक्त किया.अपनी राजनीति से देश को प्रभावित करके ये साबित किया कि महिलाएं नेतृत्व के उच्च पदों पर पहुंचने और समाज में बदलाव लाने में सक्षम हैं.
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आज़ाद भारत की राजनीति में योगदान देने वाली पांच महिला नेता
भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी
भारतीय राजनीति में महिलाओं का जिक्र हो तो सबसे पहले इंदिरा गांधी का नाम लिया जाना चाहिए. वह भारत की पहली और अब तक की सबसे प्रभावशाली महिला प्रधानमंत्री थीं.
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भारत की पहली महिला राज्यपाल सरोजिनी नायडू
सरोजिनी नायडू की स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी रही. वहीं आजादी के बाद संविधान निर्माण के दौरान महिला अधिकारों की पैरोकार रहीं. वह कांग्रेस की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष बनीं. साथ ही उत्तर प्रदेश की राज्यपाल बनने के साथ ही वह भारत की पहली महिला राज्यपाल बन गईं .
भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री राजकुमारी अमृत कौर
राजकुमारी अमृत कौर देश की पहली स्वास्थ्य मंत्री थीं. भारत की आजादी के बाद जब पंडित जवाहर लाल नेहरू की सरकार बनी तो 20 मंत्रियों की कैबिनेट में जगह पाने वाली वह पहली महिला थीं. उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा लिया था.
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पहली महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी
देश की पहली महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी थीं. सुचेता कृपलानी प्रसिद्ध गांधीवादी नेता आचार्य कृपलानी की पत्नी थीं. उन्होंने साल 1963 से 1967 तक उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री का पदभार संभाला. देश की आजादी में भी उनका अहम योगदान रहा.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज
सुषमा स्वराज भारत की पहली पूर्णकालिक महिला विदेश मंत्री थीं. वह एक ऐसी मंत्री थीं जो ट्विटर (X) के माध्यम से आम जनता की समस्याएं सुनती थीं. उनके प्रयासों से आम जनता की विदेश मंत्रालय तक सीधी पहुंच बन सकी.
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