श्रीकृष्ण जन्मभूमि ईदगाह मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर कोई स्थगन आदेश नहीं दिया। मुस्लिम पक्ष हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 4 नवंबर को होगी और कोर्ट ने कहा कि रिट का परीक्षण किया जाएगा। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि इस रिट की सुनवाई पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच में होनी चाहिए थी, इसका भी परीक्षण किया जाएगा। एक अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही मस्जिद ईदगाह विवाद को सुनवाई योग्य माना था। कोर्ट ने मस्जिद की जमीन के स्वामित्व से जुड़े हिंदू पक्ष के सभी 15 सिविल मुकदमों को सुनने योग्य मानते हुए मुस्लिम पक्ष की पांचों आपत्तियों को खारिज कर दिया था।
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श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह विवाद
अपील में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष के दावों को सुनवाई योग्य माना है, जो गलत है। मुस्लिम पक्ष की इस याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई निर्धारित थी। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह और पक्षकार आशुतोष पाण्डेय के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मंगलवार को कोई स्थगन आदेश नहीं दिया। कोर्ट ने कहा है कि इस मामले का परीक्षण होगा और अगली सुनवाई की तारीख 4 नवंबर तय कर दी गई है। सुप्रीम कोर्ट की कोर्ट संख्या 2 में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार ने इस मामले की सुनवाई की।
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हिंदू पक्षकारों की दलीलें
ईदगाह का पूरा ढाई एकड़ क्षेत्र श्रीकृष्ण विराजमान का गर्भगृह है, वह हिस्सा भी जिसमें शाही ईदगाह मस्जिद है।
शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के पास भूमि का कोई ऐसा रिकॉर्ड नहीं है। श्रीकृष्ण मंदिर तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण किया गया है। बिना स्वामित्व अधिकार के वक्फ बोर्ड ने बिना किसी वैध प्रक्रिया के इसे वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया है। जमीन पर दोनों पक्षों के बीच 1968 में समझौता हुआ है। 60 साल बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं है। लिहाजा, मुकदमा चलने योग्य नहीं है। उपासना स्थल अधिनियम 1991 के तहत भी मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है।
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