संसद के शीतकालीन सत्र के 13वें दिन, बुधवार (20 दिसंबर), लोकसभा में मौजूदा आपराधिक कानूनों को संशोधित करने के लिए लाए गए 3 विधेयक पास हो गए. इस बारे में विपक्ष के 97 सांसदों की गैर-मौजूदगी में चर्चा हुई, और फिर गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब दिया. इसके पश्चात्, बिलों को पास कर दिया गया है. ये नए क्रिमिनल बिल अब राज्यसभा में पेश किए जाएंगे, जहां से उन्हें मंजूरी होने पर राष्ट्रपति को भेजा जाएगा.
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नए क्रिमिनल बिलों में क्या हैं प्रावधान:
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आपने मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून क्यों नहीं बनाया?
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मॉब लिंचिंग घृणित अपराध है और हम इस कानून में मॉब लिंचिंग अपराध के लिए फांसी की सजा का प्रावधान कर रहे हैं. लेकिन मैं विपक्ष से पूछना चाहता हूं कि आपने भी वर्षों देश में शासन किया है, आपने मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून क्यों नहीं बनाया? आपने मॉब लिंचिंग शब्द का इस्तेमाल सिर्फ हमें गाली देने के लिए किया, लेकिन सत्ता में रहे तो कानून बनाना भूल गए.
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क्रिमिनल बिल: तीन दिन के अंदर एफआईआर दर्ज करनी होगी
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 3 से 7 साल की सजा के मामले में 14 दिन के अंदर प्रारंभिक जांच की आरोप सही है या नहीं है. 14 दिन के अंदर प्रारंभिक जांच करके एफआईआर दर्ज करनी होगी. ज्यादा से ज्यादा 14 दिन तक आप प्रारंभिक जांच कर सकते हो अगर छोटी सजा है तो तीन दिन के अंदर की एफआईआर दर्ज करनी होगी. सबसे पहले न्याय में समय की कटोती यहा होगा. जिला मजिस्ट्रेट को जो जांच रिपोर्ट देनी होती तो पहले उसमें कोई समय सीमा का प्रावधान नहीं था. आतंकियो की जगह सिर्फ जेल है और आतंकियों के साथ किसी प्रकार की कोई दया नहीं होगी. ये अंग्रेजों का शासन नहीं है, ये कांग्रेस का शासन नहीं है, ये भाजपा और नरेन्द्र मोदी का शासन है…. यहां आतंकवाद को बचाने की कोई दलील काम नहीं आएगी.
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राजद्रोह जैसे अंग्रेजों के काले कानूनों का नए भारत में नहीं
राजद्रोह जैसे अंग्रेजों के काले कानूनों का नए भारत में सफाया हुआ. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (CRPC) में पहले 484 धाराएं थीं, अब 531 होंगी, 177 धाराओं में बदलाव हुआ है. 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं, 39 नए सब सेक्शन जोड़े गए हैं, 44 नए प्रोविजन और स्पष्टीकरण जोड़े गए हैं, 35 सेक्शन में टाइम लाइन जोड़ी हैं और 14 धाराओं को हटा दिया गया है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने लाल किला से कहा था कि उपनिवेशिक कानून से देश को मुक्ति मिलनी चाहिए. उसके बाद 2019 से परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू की. ये कानून विदेशी शासन गुलाम प्रजा को शासित करने के लिए बनाया गया कानून है.
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