सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 28 सितंबर को आदेश दिया था कि सबरीमाला में हर उम्र की महिलाएं प्रवेश व दर्शन कर सकेंगी।
नई दिल्ली, जेएनएन। केरल के सबरीमाला में स्थित भगवान अयप्पा मंदिर पर चल रही राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है। भाजपा ने अब सबरीमाला मंदिर को लेकर चल रहे आंदोलन में सत्याग्रहियों पर किए गए अत्याचारों और आंदोलन के दौरान पुलिस द्वारा किए गए अंधाधुंध गिरफ्तारी के आकलन के लिए भाजपा नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल नियुक्त किया है।
भाजपा की ओर से जारी बयान के अनुसार, शाह द्वारा मंगलवार को गठित इस शिष्टमंडल में पार्टी महासचिव सरोज पांडेय, पार्टी की एससी ईकाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनोद सोनकर, सांसद प्रह्लाद जोशी तथा नलिन कुमार कतील शामिल हैं। शिष्टमंडल सबरीमला के हालात पर जानकारी लेकर 15 दिन के भीतर उसकी रिपोर्ट शाह को सौंपेगा।
इससे पहले भाजपा अध्यक्ष अमित शाह कह चुके हैं कि केरल सरकार भगवान अयप्पा के श्रद्धालुओं से अमानवीय व्यवहार कर रही है, जो कि काफी दुखदायक है। शाह ने कहा कि केरल की सरकार श्रद्धालुओं की आस्था कुचलने में लगी है लेकिन भाजपा ऐसा नहीं होने देगी। शाह ने ट्वीट कर कहा था, ‘अगर अयप्पा श्रद्धालुओं के कूड़े-कर्कट में रात बिताने की बातें सच हैं तो सीएम पिनरई विजयन को ये समझना होगा कि वे श्रद्धालुओं से कैदियों जैसा व्यवहार नहीं कर सकते। केरल सरकार उनकी आस्था को कुचल नहीं सकती है और ना ही हम ऐसा होने देंगे।’ उन्होंने कहा, ‘अगर पिनरई विजयन ये सोचते हैं कि हमारे (भाजपा के) जिला अध्यक्ष के सुरेंद्रन और 6 अन्य लोगों को गिरफ्तार कर वे जनआंदोलन को दबा सकते हैं तो वे गलती कर रहे हैं। हम हर उस अयप्पा श्रद्धालुओं के साथ पूरी तरह डटकर खड़े हैं जिसके दिल में सबरीमाला के रीति-रिवाज बसते हैं।’
ये है विवाद
सबरीमाला का मंदिर देश के केरल राज्य में स्थित है। इस मंदिर में दस से 50 साल तक की महिलाएं, जो रजस्वला हैं, उनके प्रवेश पर प्रतिबंध है। इसके पीछे यह मान्यता है कि इस मंदिर के मुख्य देवता अयप्पा ब्रह्मचारी थे। ऐसे में इस तरह की महिलाओं के मंदिर में जाने से उनका ध्यान भंग होगा। यहां सिर्फ छोटी बच्चियां और बूढ़ी महिलाएं ही प्रवेश कर सकती हैं। सबरीमाला मंदिर में हर साल नवम्बर से जनवरी तक, श्रद्धालु अयप्पा भगवान के दर्शन के लिए जाते हैं, बाकि पूरे साल यह मंदिर आम भक्तों के लिए बंद रहता है। भगवान अयप्पा के भक्तों के लिए मकर संक्रांति का दिन बहुत खास होता है, इसीलिए उस दिन यहां सबसे ज़्यादा भक्त पहुंचते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को दिया था आदेश
सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 28 सितंबर को आदेश दिया था कि सबरीमाला में हर उम्र की महिलाएं प्रवेश व दर्शन कर सकेंगी। 10 से 50 वर्ष की उम्र की महिलाओं पर पाबंदी की परंपरा लिंगभेद है। मंदिर की परंपरा है कि जिन महिलाओं को मासिक धर्म होता है, उन्हें दर्शन की इजाजत नहीं है, क्योंकि भगवान अयप्पा को ब्रह्मचारी माना जाता है।
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