सुप्रीम कोर्ट आज आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लोगों को नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के मामले पर फैसला सुनाएगा। कोर्ट में ईडब्ल्यूएस आरक्षण का प्रावधान करने वाले 103वें संविधान संशोधन की वैधता को चुनौती दी गई है। मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, एस. रवींद्र भट, बेला एम. त्रिवेदी और जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता में पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इस मामले पर फैसला सुरक्षित रखा है।
सात दिनों तक चली सुनवाई
बता दें कि मामले में मैराथन सुनवाई लगभग सात दिनों तक चली, जहां वरिष्ठ वकीलों ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष में तर्क दिया जिसके बाद (तत्कालीन) अटार्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ईडब्ल्यूएस कोटे के बचाव में अपने तर्क रखे।
सरकार ने कानून का किया बचाव
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में आर्थिक आधार पर आरक्षण को संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताते हुए रद करने की मांग की गई है। सरकार ने कोर्ट में कानून का समर्थन करते हुए कहा था कि यह कानून अत्यंत गरीबों के लिए आरक्षण का प्रविधान करता है। इस लिहाज से यह संविधान के मूल ढांचे को मजबूत करता है। यह आर्थिक न्याय की अवधारणा को सार्थक करता है। इसलिए इसे मूल ढांचे का उल्लंघन करने वाला नहीं कहा जा सकता। सुनवाई की शुरुआत में ही सुप्रीम कोर्ट ने विचार के लिए संवैधानिक सवाल तय कर लिए थे।