लाहौर: भारत की स्वतंत्रता के नायक सरदार भगत सिंह को आतंकवादी कहे जाने पर एक पाकिस्तानी वकील ने सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी को 50 करोड़ रुपये के मानहानि का नोटिस भेजा है।
लाहौर की एक गैर-लाभकारी संस्था के अध्यक्ष ने बुधवार को उस अधिकारी से भगत सिंह को “अपराधी” कहने के लिए बिना शर्त माफी की मांग की और साथ ही 50 करोड़ रुपये का हर्जाना मांगा।
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यह कानूनी नोटिस लाहौर मेट्रोपोलिटन कॉरपोरेशन के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी और पाकिस्तान सशस्त्र बलों से सेवानिवृत्त अधिकारी तारिक मजीद को अधिवक्ता खालिद जमा खान द्वारा भेजा गया है।
मजीद ने भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन पाकिस्तान के अध्यक्ष इम्तियाज रशीद कुरैशी पर विदेशी फंडिंग लेने का आरोप लगाया और भगत सिंह को “अपराधी” कहा। नोटिस में कहा गया है, “मेरे मुवक्किल (इम्तियाज रशीद कुरैशी) एक सच्चे देशभक्त हैं, जो देश और इस्लाम के प्रति वफादार हैं, और उन्होंने पाकिस्तान या विदेश में किसी से भी एक भी पैसा नहीं लिया है।”
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पाकिस्तानी वकील के नोटिस में क्या कहा गया?
पाक सैन्य अधिकारी को भेजे गए नोटिस में वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल (कुरैशी) का उद्देश्य आम आदमी की भलाई के लिए संघर्ष करना और पाकिस्तान और भारत के बीच संबंध सुधारना है, ताकि आम लोगों को लाभ मिल सके।
नोटिस में भगत सिंह के बारे में यह भी कहा गया कि राष्ट्रपिता मोहम्मद अली जिन्ना ने 12 सितंबर 1929 को दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में भगत सिंह की सराहना की थी। कुरैशी ने यह भी आरोप लगाया कि मजीद ने नवंबर में लाहौर उच्च न्यायालय में सौंपी अपनी रिपोर्ट में “अत्यंत गंदी और अपमानजनक भाषा” का इस्तेमाल किया था।
94 साल पहले भगत सिंह को फांसी दी गई थी
नवंबर में, जिला प्रशासन ने लाहौर उच्च न्यायालय को सूचित किया कि कमोडोर (सेवानिवृत्त) मजीद द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर, उसने शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने की योजना को रद्द कर दिया है, जहां लगभग 94 साल पहले भगत सिंह को फांसी दी गई थी।
अपनी रिपोर्ट में मजीद ने यह दावा किया कि भगत सिंह “क्रांतिकारी नहीं बल्कि अपराधी थे” और आज के समय में वह एक आतंकवादी माने जाते, जिन्होंने एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी की हत्या की थी, जिसके लिए उन्हें और उनके दो साथियों को फांसी दी गई।
मजीद ने कुरैशी पर विदेशी धन लेने का आरोप भी लगाया था और उनकी धार्मिक आस्थाओं पर सवाल उठाए थे।
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