• Tue. Sep 17th, 2024

    संसद भवन के गेटों पर एयरपोर्ट जैसी सुरक्षा

    Sansad Bhavan

    गत वर्ष 13 दिसंबर को हुए सुरक्षा चूक मामले में, संसद भवन परिसर में केंद्र सरकार ने सुरक्षा बदलाव करने का निर्णय लिया है। अब, दिल्ली पुलिस की बजाय, सीआईएसएफ को मुख्य गेटों की जांच पड़ताल की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके अलावा, प्रवेश के लिए प्रदर्शन करने के लिए प्रवेश पत्र दिखाना अब अनिवार्य है, और बायोमैट्रिक पुष्टि के बाद ही किसी को प्रवेश मिलेगा। सुरक्षा को और बढ़ावा देने के लिए, सादे कपड़ों वाली टीम (खुफिया ब्यूरो) की मौजूदगी को भी बढ़ा दिया गया है। इस बदलाव के तहत, पर्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप की जगह सीआरपीएफ को संसद भवन की सुरक्षा का मुख्य जिम्मा सौंपा गया है।

    Also read:Sakshi Malik Claims Suspended Chief’s Fake Championships

    सुरक्षा में बदलाव: संसद भवन की प्रवेश प्रक्रिया में सीआईएसएफ को मिली जिम्मेदारी

    संसद भवन के गेटों पर पहले दिल्ली पुलिस के जवान तैनात रहते थे। आगुंतकों की जांच का काम भी उन्हीं को सौंपा गया था। दिल्ली पुलिस ही उनका सामान, मोबाइल फोन, बैग या फाइलों की जांच करती थी। अगर किसी व्यक्ति को लोकसभा या राज्यसभा की कार्यवाही देखने के लिए जाना होता तो दूसरे कई गेटों पर भी कार्ड देखा जाता था। दिल्ली पुलिस के जवान, मैटल डिटेक्टर की मदद से वहां पर आगुंतकों की जांच करते थे। पार्लियामेंट सिक्योरिटी सर्विस ‘पीएसएस’ के कर्मी, लोगों के पास आदि तैयार करते हैं। संसद भवन परिसर में प्रवेश के लिए दस्तावेज जांचने की जिम्मेदारी भी इन्हीं की रहती है। 

    Also read:दिल्ली के सीएम केजरीवाल को ईडी का 5वां समन, शराब घोटाले में होनी है पूछताछ

    इस चूक मामले की जांच के लिए सीआरपीएफ डीजी अनीश दयाल सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई थी। कमेटी ने अपनी जांच में कई अहम सुझाव दिए थे। उसके बाद संसद भवन के मौजूदा सिक्योरिटी घेरे में भी कई परिवर्तन किए गए। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संसद भवन परिसर में ‘केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल’ सीआईएसएफ की नियमित तैनाती की योजना बनाई। अब संसद भवन के सभी प्रवेश मार्गों पर सीआईएसएफ तैनात है। 

    सुरक्षा चूक: संसद भवन में न होने पर सवाल उठा, नई बिल्डिंग का फायर सर्वे क्यों नहीं किया गया?

    जब 13 दिसंबर को संसद भवन में धुआं फैला तो वहां कोई अलर्ट सिस्टम एक्टिव नहीं हुआ था। जब इस तरह की घटना होती है तो आटोमेटिक छिड़काव होता है और अलार्म बज उठता है। इसी वजह से नए संसद भवन का फायर सर्वे कराया गया। यहां पर ये सवाल भी उठा था कि जब संसद भवन की नई बिल्डिंग तैयार हुई तो उस क्या उस वक्त फायर सर्वे नहीं किया गया था। सुरक्षा चूक मामले के बाद सपा सांसद राम गोपाल यादव ने सादे कपड़ों में इंटेलिजेंस टीम की तैनाती का मुद्दा उठाया था। 

    Also read:मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम सत्र आज से

    उनका कहना था कि अब वे लोग कहीं पर दिखाई नहीं पड़ रहे। सदन के बाहर, भीतर और गैलरी के अलावा संसद के चप्पे चप्पे पर सादे कपड़ों में जवान मौजूद रहते थे। उनकी नजर सभी पर रहती थी। अब वह टीम गायब हो गई है। अब संसद भवन के भीतर सादे कपड़ों वाली टीम की संख्या को बढ़ाया गया है। इस टीम की ड्यूटी में कई तरह के बदलाव किए गए हैं। सीआईएसएफ को ऐसे उपकरण या स्कैनर, मुहैया कराए गए हैं, जिनके माध्यम से पाउडर, स्मॉग और केमिकल वाले कैप्सूल को डिटेक्ट किया जा सकता है। 

    Share With Your Friends If you Loved it!