रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास (Reserve Bank of India Governor Shaktikant Das) ने भारत में मंदी की आशंका को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि महंगाई (inflation) को कम करने के लिए वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैकों की ओर से ब्याज दर में इजाफा होने के कारण हार्ड लैंडिंग ने मंदी के खतरे को बढ़ा दिया है। हालांकि उन्होंने कहा कि भारत की स्थिति इससे काफी अलग है और अभी मंदी की संभावना नहीं है।
हैदराबाद (Hyderabad) में आरबीआई के डिपार्टमेंट ऑफ इकोनामिक एंड पालिसी रिसर्च (DEPR) के वार्षिक सम्मलेन को शक्तिकांत दास संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त की। महंगाई पर बोलते हुए शक्तिकांत दास ने कहा कि विकसित अर्थव्यस्थाओं में महंगाई अस्थाई नहीं है। उन्होंने कहा कि अमेरिका (America) के केंद्रीय बैंक Fed की ओर से ब्याज दरों में वृद्धि करने से अमेरिकी डॉलर की कीमतों में इजाफा हुआ है।
सम्मेलन में महंगाई को काबू में करने को लेकर लोगों को संबोधित करते हुए शक्तिकांत दास ने कहा, “जून 2016 से फरवरी 2020 तक औसत महंगाई 3.9 प्रतिशत रही थी। यह उस समय शोध का मुद्दा बन गया था कि आखिर ऐसे कौन से कारण थे, जो उस समय महंगाई काबू में रही थी।”
बता दें कि खुदरा महंगाई दर (Consumer Price Index) में भी कमी आई है। अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर घटकर 6.77 फीसदी हो गई है। जबकि सितम्बर में यह 7.41 प्रतिशत थी, वहीं अगस्त महीने में यह 7 प्रतिशत थी। यानी खुदरा महंगाई दर पिछले तीन महीने के न्यूनतम स्तर पर है। केंद्र सरकार ने आरबीआई को मार्च 2026 को समाप्त होने वाली पांच साल की अवधि के लिए खुदरा मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत पर 2 प्रतिशत के मार्जिन के साथ बनाए रखने का आदेश दिया है।
वहीं अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर के साथ थोक महंगाई दर (Wholesale price index) के आंकड़े में भी कमी आई है और ये सितंबर के मुकाबले कम है। अक्टूबर में थोक महंगाई दर 8.39 फीसदी हो गई है। ऐसा 19 महीने बाद हुआ है जब ठोक महंगाई दर दहाई के आंकड़े से नीचे आई हो। सितंबर में थोक महंगाई दर 10.7 फीसदी पर थी, जबकि अगस्त में 12.41 फीसदी पर थी। वहीं खाद्य महंगाई दर की बात करें तो ये भी घटकर 6.48 फीसदी पर आ गई है और सितंबर में खाद्य महंगाई दर 8.08 फीसदी पर रही थी।