• Mon. Dec 23rd, 2024

    नए नियमों का पालन नहीं करने पर सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को देना पड़ सकता है 50 लाख रुपये तक का जुर्माना

    Social media

    सरकार ने सोशल मीडिया “इन्फ्लुएंसर्स” के लिए नए दिशानिर्देशों की घोषणा की, जिसके लिए उन्हें उत्पादों और सेवाओं को बढ़ावा देने के दौरान किसी भी भौतिक कनेक्शन या हितों का खुलासा करने की आवश्यकता होती है। यदि वे इन दिशानिर्देशों का पालन नहीं करते हैं, तो विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने जैसे कानूनी उपाय किए जा सकते हैं। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि सोशल मीडिया “प्रभावित करने वाला” बाजार 2020 तक लगभग 2,800 करोड़ रुपये का होने का अनुमान है।

    कौन होते हैं इंफ्लूएंसर?

    सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किसी उत्पाद या सेवाओं के बारे में अपनी राय रखकर जनमानस को प्रभावित करने वालों को ‘इंफ्लूएंसर’ कहते हैं। उपभोक्ता मामलों के विभाग ने सोशल मीडिया मंचों पर मशहूर हस्तियों, ‘इंफ्लूएंसर’ एवं ‘ऑनलाइन’ मीडिया ‘इंफ्लूएंसर’ के बारे में नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इनके उल्लंघन की स्थिति में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत भ्रामक विज्ञापन के लिए निर्धारित जुर्माना लगाया जाएगा। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) भ्रामक विज्ञापन के संबंध में उत्पादों के विनिर्माताओं, विज्ञापनदाताओं और प्रचारकों पर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगा सकती है। बार-बार नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माने की राशि बढ़ाकर 50 लाख रुपये तक की जा सकती है। 

    Social media

    एक छोटी सी गलती पड़ेगी तीन सालों के लिए भारी

    उपभोक्‍ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने आज नए दिशा-निर्देश जारी किए जो किसी भी प्रभावशाली व्यक्ति को एक वर्ष के लिए किसी भी भ्रामक विज्ञापन को बढ़ावा देने से रोकेंगे। यदि इसका पालन नहीं किया जाता है, तो प्रभावित करने वाले को विज्ञापन से तीन साल तक के लिए प्रतिबंधित किया जा सकता है। यह उपभोक्ता अधिनियम के दायरे में आता है जो उपभोक्ताओं को अनुचित व्यापार प्रथाओं और भ्रामक विज्ञापनों से बचाता है। रोहित कुमार सिंह को उम्मीद है कि ये दिशानिर्देश सोशल मीडिया पर प्रभावित करने वालों के लिए एक निवारक के रूप में काम करेंगे।

    इंफ्लूएंसर बाजार 1,275 करोड़ रुपये का था

    उन्होंने कहा, “यह बेहद अहम मुद्दा है। वर्ष 2022 में भारत में सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर बाजार 1,275 करोड़ रुपये का था, लेकिन वर्ष 2025 तक इसके लगभग 19-20 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर के साथ 2,800 करोड़ रुपये हो जाने की संभावना है।” सोशल मीडिया पर प्रभाव डालने वाले इंफ्लूएंसर की देश में संख्या एक लाख से अधिक हो चुकी है और इंटरनेट का प्रसार बढ़ने के साथ इसमें तेजी आने की ही उम्मीद है। उपभोक्ता मामलों के सचिव ने कहा, “ऐसी स्थिति में सोशल मीडिया ‘इंफ्लूएंसर’ को जिम्मेदारी से बर्ताव करने की जरूरत है।

    अब उन्हें उस उत्पाद या सेवा के बारे में अपने भौतिक जुड़ाव की जानकारी देनी होगी, जिसका वे सोशल मीडिया पर विज्ञापन कर रहे हैं।” इस अवसर पर सीसीपीए की मुख्य आयुक्त निधि खरे ने कहा कि किसी भी रूप, प्रारूप या माध्यम में भ्रामक विज्ञापन करना कानूनन प्रतिबंधित है। इसी को ध्यान में रखते हुए सोशल मीडिया ‘इंफ्लूएंसर’ के लिए खुलासा की जरूरत एवं उसके तरीकों के बारे में निर्देश जारी किए गए हैं।

    Share With Your Friends If you Loved it!