महाशिवरात्रि के अवसर पर बेंगलुरु के आर्ट ऑफ लिविंग इंटरनेशनल सेंटर में भव्य समारोह आयोजित किया गया। इस दौरान उपस्थित श्रद्धालुओं में अद्भुत आध्यात्मिक उत्साह देखने को मिला। भारत के गौरवशाली इतिहास से जुड़े एक विलुप्तप्राय खजाने का अनावरण भी किया गया। कार्यक्रम में 180 देशों के साधक एकत्रित हुए, और केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। श्रीश्री रविशंकर ने शिव को समस्त अस्तित्व का सार बताते हुए समर्पण का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि इस शिवरात्रि पर आत्मसमर्पण करें और संपूर्ण ब्रह्मांड से एकत्व का अनुभव करें।
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श्री श्री रविशंकर ने शिव के पांच गुणों का किया बखान
उन्होंने कहा, “भगवान शिव आपको वैसे ही स्वीकारते हैं जैसे आप हैं। खुद को शिव के भीतर समाहित महसूस करें।” उन्होंने शिव के पाँच गुणों—सृजन, संरक्षण, रूपांतरण, आशीर्वाद और गोपनीयता—के बारे में बताया। शिवरात्रि के दौरान हम दिव्य ऊर्जा और आशीर्वाद का अनुभव करते हैं, गहराई से इनमें डूब जाते हैं। इस आयोजन का मुख्य आकर्षण मूल सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के अवशेष रहे, जो 12 ज्योतिर्लिंगों में पहला है।
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महाशिवरात्रि पर सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के अवशेष
जब महमूद गजनी ने सोमनाथ मंदिर और ज्योतिर्लिंग को नष्ट किया, तो कुछ ब्राह्मण उसके टूटे टुकड़ों को तमिलनाडु ले गए और उन्हें छोटे शिवलिंग का रूप दिया। ये मूर्तियां गुप्त रूप से एक हजार वर्षों तक पूजी जाती रहीं। एक सदी पहले, संत प्रणवेंद्र सरस्वती ने इन्हें कांची के शंकराचार्य स्वामी चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती को सौंपा, जिन्होंने उन्हें 100 वर्षों तक सुरक्षित रखने का निर्देश दिया। यह समय जनवरी 2025 में पूरा हुआ, जब महाशिवरात्रि के अवसर पर वर्तमान संरक्षक पंडित सीताराम शास्त्री ने कांची शंकराचार्य से मार्गदर्शन मांगा। शंकराचार्य ने निर्देश दिया कि इन्हें बेंगलुरु में गुरुदेव श्री श्री रविशंकर को सौंपा जाए, और इस प्रकार ये पवित्र अवशेष उन्हें समर्पित किए गए।
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