सुप्रीम कोर्ट ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की याचिका पर कोई अंतरिम आदेश जारी करने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को बूथ-वार वोटिंग प्रतिशत डेटा जारी करने का निर्देश देने से भी मना कर दिया। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को बूथ-वार मतदाताओं की कुल संख्या प्रकाशित करने और फॉर्म 17C के रिकॉर्ड को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश देने से भी इनकार कर दिया।
ADR की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बूथ-वार वोटिंग डेटा जारी करने से किया इनकार
इससे पहले ADR ने मांग की थी कि मतदान के 48 घंटों के भीतर बूथ-वार वोटिंग का डेटा सार्वजनिक किया जाए। इस पर जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अवकाशकालीन पीठ ने मामले की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया में किसी प्रकार की बाधा नहीं डाली जा सकती। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, पीठ ने कहा कि वर्तमान अंतरिम आवेदन में की गई मांग 2019 में दायर की गई मुख्य रिट याचिका में किए गए मांग जैसी ही हैं।
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चुनाव डेटा में विसंगतियों के आरोप पर महुआ मोइत्रा की याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में शामिल
बता दें कि 2019 में TMC नेता महुआ मोइत्रा ने भी एक रिट याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने 2019 के चुनावों में वोटिंग डेटा में विसंगतियों का आरोप लगाया था। सुप्रीम कोर्ट ने 24 मई को मोइत्रा की याचिका को भी इसी मामले के साथ सूचीबद्ध किया था। मोइत्रा की ओर से सीनियर वकील डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी, ADR की ओर से सीनियर वकील दुष्यंत दवे, और चुनाव आयोग की ओर से सीनियर वकील मनिंदर सिंह ने अपना पक्ष प्रस्तुत किया।
इससे पहले, चुनाव आयोग ने बूथ-वार आंकड़े प्रकाशित न करने पर अपना पक्ष रखा था। चुनाव आयोग ने हाल ही में एक हलफनामे के जरिए सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि फॉर्म-17C (मतदान केंद्र पर डाले गए वोटों का रिकॉर्ड) अपलोड नहीं किया जा सकता, क्योंकि डेटा के खुलासे से मतदाताओं के बीच भ्रम पैदा हो सकता है। आयोग ने बताया कि जल्दीबाजी में फॉर्म-17C अपलोड करने से सत्यापन के दौरान मानवीय और गणितीय गलतियां हो सकती हैं। दूर-दराज के मतदान केंद्रों से मिली जानकारी को शामिल करने में समय लगता है, इसी कारण अंतिम डेटा जारी करने में देरी होती है।