• Mon. Dec 23rd, 2024

    इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, मुख्य न्यायाधीश बोले- सरकार से पूछना जनता का कर्तव्य

    Electoral Bonds

    सर्वोच्च न्यायालय ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर फैसला सुना दिया है। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में कहा कि चुनावी बॉन्ड से जुड़ी राजनीतिक फंडिंग पारदर्शिता को प्रभावित करती है और मतदाताओं के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है। वहीं सरकार ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस योजना का बचाव करते हुए कहा कि धन का उपयोग उचित बैंकिंग चैनलों के माध्यम से राजनीतिक वित्तपोषण के लिए किया जा रहा है।

    Also Read: पाकिस्तान: प्रधानमंत्री पद के लिए शहबाज शरीफ और राष्ट्रपति के लिए असीफ़ अली ज़रदारी के नाम का एलान

    इलेक्टोरल बॉन्ड पर दोनों फैसले सर्वसम्मत

    सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवी चंद्रचूड़ ने कहा कि इस मामले में सुनवाई कर रहे सभी जजों ने सर्वसम्मति से अपना फैसला सुनाया है। केंद्र सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का कहना है कि दो अलग-अलग फैसले हैं – एक उनके द्वारा लिखा गया और दूसरा न्यायमूर्ति संजीव खन्ना द्वारा और दोनों फैसले सर्वसम्मत हैं। फैसला सुनाते हुए सीजेआई ने कहा कि चुनावी बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। सरकार से पूछना जनता का कर्तव्य है। इस फैसले पर जजों की राय है। 

    Also Read: मध्य प्रदेश: महंगा हुआ लहसुन, रु 400 किलो है कीमत; किसानों ने खेतों में लगाए कैमरे

    चुनावी बॉन्ड को रद्द करना होगा

    कोर्ट ने आगे कहा, चुनावी बॉन्ड योजना, अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है। कोर्ट ने इसे असंवैधानिक माना है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द करना होगा।

    Also Read: Indian-American IT Couple and Twins Found Dead in California

    मतदाताओं के सूचना के अधिकार का उल्लंघन

    याचिकाकर्ताओं के अनुसार, चुनावी बॉन्ड से जुड़ी राजनीतिक फंडिंग पारदर्शिता को प्रभावित करती है और मतदाताओं के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है। याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया कि इस योजना में शेल कंपनियों के माध्यम से योगदान करने की अनुमति दी गई है।

    केंद्र सरकार ने इस योजना का बचाव करते हुए कहा कि धन का उपयोग उचित बैंकिंग चैनलों के माध्यम से राजनीतिक वित्तपोषण के लिए किया जा रहा है। सरकार ने आगे तर्क दिया कि दानदाताओं की पहचान गोपनीय रखना जरूरी है, ताकि उन्हें राजनीतिक दलों से किसी प्रतिशोध का सामना न करना पड़े।

    Also Read: Offices, Banks May Remain Shut due to Bharat Bandh On Feb 16

    Share With Your Friends If you Loved it!