विपक्ष के विरोध के बावजूद संसद से पारित वक्फ एक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होगी। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच मामले की सुनवाई करेगी। अब तक वक्फ एक्ट के खिलाफ करीब 73 याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें ओवैसी और अरशद मदनी जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने 10 याचिकाओं को सूचीबद्ध किया है, और कई नई याचिकाएं भी दायर की जा चुकी हैं।
इस मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर कर आग्रह किया था कि कोई भी आदेश पारित करने से पहले उसकी बात सुनी जाए। कैविएट का मकसद यह सुनिश्चित करना होता है कि बिना पक्षकार को सुने कोई आदेश न हो। हाल ही में केंद्र ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को अधिसूचित किया था। प्रमुख याचिकाकर्ताओं में AIMPLB, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, DMK, और कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी व मोहम्मद जावेद शामिल हैं।
7 अप्रैल को जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दायर की थी याचिका
7 अप्रैल को चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल को याचिकाओं को सूचीबद्ध करने पर विचार करने का आश्वासन दिया था। एआईएमपीएलबी ने 6 अप्रैल को शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। अधिवक्ता लजफीर अहमद के मार्फत दायर ओवैसी की याचिका में कहा गया है कि वक्फ को दिये गए संरक्षण को कम करना मुसलमानों के प्रति भेदभाव है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 15 का उल्लंघन है।
उधर, वक्फ कानून के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक नया अभियान शुरू किया है जिसका नाम वक्फ बचाव अभियान दिया गया है। इस अभियान का पहला चरण कुल 87 दिनों तक चलेगा। यह 11 अप्रैल से शुरू हो चुका है और 7 जुलाई तक चलेगा। इसे साथ ही वक्फ कानून के विरोध में एक करोड़ लोगों के हस्ताक्षर लिए जाएंगे। इसके बाद अगली रणनीति तय की जाएगी।
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वक्फ संशोधन बिल से जुड़ी अहम बातें
देश की आज़ादी के बाद 1950 में वक्फ संपत्तियों की निगरानी के लिए एक कानूनी संस्था की आवश्यकता महसूस की गई। इसके तहत 1954 में केंद्र सरकार ने वक्फ एक्ट लागू किया और सेंट्रल वक्फ काउंसिल की स्थापना की। 1955 में इस कानून में संशोधन कर प्रत्येक राज्य में वक्फ बोर्ड बनाए जाने की प्रक्रिया शुरू हुई। वर्तमान में देश में लगभग 32 वक्फ बोर्ड कार्यरत हैं, जो वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण और रखरखाव करते हैं। कुछ राज्यों में शिया और सुन्नी मुस्लिमों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड भी बनाए गए हैं। अब केंद्र सरकार ने 1954 के इसी कानून में वक्फ संशोधन बिल के जरिए बदलाव किए हैं।
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वक्फ संशोधन बिल की टाइमलाइन
देवक्फ (संशोधन) बिल, 2024 को 8 अगस्त 2024 को लोकसभा में पेश किया गया और उसी दिन संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को सौंपा गया। समिति ने अपनी रिपोर्ट 30 जनवरी 2025 को प्रस्तुत की। इसके बाद यह बिल 2 अप्रैल 2025 को लोकसभा और 3 अप्रैल 2025 को राज्यसभा में पारित हुआ।
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