राधिका सेन मूल रूप से हिमाचल प्रदेश की रहने वाली हैं. वह एक बायोटेक इंजीनियर हैं. राधिका आईआईटी बॉम्बे में मास्टर डिग्री की पढ़ाई कर रही थीं, तब उन्होंने सेना में शामिल होने का फैसला किया. 1993 को जन्मी मेजर सेन आठ साल पहले भारतीय सेना में भर्ती हुईं.
इंडियन आर्मी ने एक बार फिर वैश्विक मंच पर भारत का सम्मान बढ़ाया है. भारतीय सेना की मेजर राधिका सेन (Major Radhika Sen) को प्रतिष्ठित जेंडर एडवोकेट पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने यह घोषणा की है. दुजारिक ने कहा कि गुटेरेस गुरुवार को राधिका सेन को 2023 मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवार्ड प्रदान करेंगे. इसे संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षकों के अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है. अभी संयुक्त राष्ट्र के लिए काम करने वाली महिला सैन्य शांतिरक्षकों में भारत का 11वां सबसे बड़ा योगदान है.
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राधिका सेन एक रोल मॉडल
प्रतिष्ठित जेंडर एडवोकेट पुरस्कार साल 2000 के सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को बढ़ावा देने में एक पीस कीपर के प्रयासों को मान्यता देता है, जो महिलाओं और लड़कियों को संघर्ष वाले इलाकों में यौन हिंसा से बचाने का प्रयास करता है. सेन मेजर सुमन गवानी के बाद यह सम्मान पाने वाली दूसरी भारतीय पीस कीपर हैं. सुमन गवानी ने दक्षिण सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन के साथ काम किया था और 2019 में यह पुरस्कार प्राप्त किया था. संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में 6,063 भारतीय कर्मियों में से 1,954 मोनुस्को के साथ काम करते हैं, जिनमें से 32 महिलाएं हैं.
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गुटेरेस ने बधाई देते हुए राधिका सेन को एक रोल मॉडल बताया. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, राधिका सेन ने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में संयुक्त राष्ट्र मिशन के साथ काम किया, जहां उन्होंने उत्तरी किवु में एक अलर्ट नेटवर्क बनाने में मदद की, जो समुदाय के लोगों, युवाओं और महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए आवाज उठाने के लिए एक मंच प्रदान किया. उन्होंने समर्पण की भावना के साथ महिलाओं और लड़कियों सहित संघर्ष-प्रभावित समुदायों का विश्वास जीता. सेन के सैनिकों ने उत्तरी किवु में बढ़ते संघर्ष के माहौल में उनके साथ काम किया.
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