3 मई से शुरू होने वाली चार धाम यात्रा के पहले ऋषिकेश से लेकर बद्रीनाथ धाम तक 500 किमी के रास्ते को दुरुसत करने का काम तेज है।
तो दूसरी तरफ यमुनोत्री धाम तक पहुंचने वाला रास्ता खस्ताहाल बना हुआ है।
चार धाम यात्रा सड़क पर 40 से अधिक सक्रिय लैंडस्लाइड जोन हैं, जो स्थानीय प्रशासन और सरकार के लिए चुनौती बने हैं।
प्रशासन का दावा है कि कि इन क्रॉनिक एक्टिव लैंडस्लाइड जोन के ट्रीटमेंट पर 100 करोड़ रुपए से अधिक खर्च हो रहे हैं।
उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के लिए प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां जारी है।
यात्रा से इस बार उम्मीदें इसलिए ज्यादा हैं, क्योंकि यह कोरोना के चलते दो साल बाधित रही।
श्रद्धालुओं की सुविधाओं के मद्देनजर सबसे ज्यादा फोकस यात्रा सड़कों पर है।
मौजूदा हालात में चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले इस सक्रिय भूस्खलन जोन का ज्यादातर का काम पूरा होना बेहद मुश्किल है।
ये हैं खतरनाक लैंडस्लाइड जोन
टिहरी में अटालीगंगा होटल के पास, होटल ताज के पास सिंगटाली, कौड़ियाला पानी गदेरा के निकट, महादेव चट्टी, तोताघाटी।
देवप्रयाग तहसील के निकट, रुद्रप्रयाग में जवाड़ी बाईपास के निकट, नरकोटा, सिरोबगड़, डीएफओ ऑफिस के निकट।
उत्तरकाशी में धरासू, छटांगा, सिलाई बैंड, किसाला में दो जगह और पालीगाड़ में खतरनाक लैंडस्लाइड जोन हैं।
3 मई से गंगोत्री के साथ खुलने लगेंगे चारधाम के कपाट
चारधाम के कपाट बारी-बारी से अगले महीने से खुलने लगेंगे।
इसकी शुरुआत 3 मई को अक्षया तृतीया को गंगोत्री व यमुनोत्री धाम से होगी।
6 मई को केदारनाथ और 8 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे।
यात्रा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण ने रफ्तार पकड़ ली है।
अब तक एक लाख से अधिक तीर्थयात्री ऑनलाइन पंजीकरण करा चुके हैं।
इसमें केदारनाथ धाम के दर्शन के लिए सबसे अधिक यात्रियों ने पंजीकरण कराया।
इस बार यात्रियों को क्यूआर कोड जारी किया जा रहा है।