वाराणसी में 14 से 16 मई के बीच शृंगार गौरी-ज्ञानवापी मस्जिद में हुए सर्वे की रिपोर्ट आज सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में दाखिल होगी। रिपोर्ट एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह पेश करेंगे। वहीं, कमीशन के बीच हटाए गए पूर्व एडवोकेट कमिश्नर अजय मिश्रा ने अपनी 2 पन्नों की रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल कर दी है। इसमें लिखा है कि मस्जिद के भीतर शेषनाग की आकृति के अलावा खंडित देव विग्रह, मंदिर का मलबा, हिंदू देवी-देवताओं और कमल की आकृति, शिलापट्ट मिले हैं।
अजय कुमार मिश्रा की अगुआई में 6 और 7 मई को सर्वे की कार्यवाही हुई थी।
इसके बाद 14 से 16 मई तक तीन एडवोकेट कमिश्नर की मौजूदगी में ज्ञानवापी परिसर का सर्वे हुआ था।
अजय मिश्रा ने बताया कि विडियोग्राफी से संबंधित चिप स्टेट ट्रेजरी के लॉकर में सुरक्षित रखी गई है।
शृंगार गौरी मंदिर की चौखट का अवशेष मिला
रिपोर्ट में लिखा गया है कि बैरिकेडिंग के बाहर सिंदूर लगी 3-4 कलाकृति और चौखट जैसा शिलापट्ट है।
हिंदू पक्ष की तरफ से बताया गया कि वह शृंगार गौरी मंदिर की चौखट का अवशेष है।
उनकी कलाकृतियों के प्रतीक को ही फिलहाल शृंगार गौरी मानकर पूजते हैं।
दूसरे दिन के सर्वे में डीएम-पुलिस कमिश्नर पर सहयोग न देने का आरोप
एडवोकेट कमिश्नर अजय ने अपनी रिपोर्ट में कहा- अदालत के आदेश पर सभी पक्षकारों के साथ 6 मई को दोपहर 3:30 बजे सर्वे शुरू किया गया था। ज्ञानवापी मस्जिद बैरिकेडिंग के बाहर से शुरू की गई कार्यवाही पहले दिन 5:45 बजे तक चली थी। 7 मई को दोपहर 3 बजे कमीशन की कार्यवाही में मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी मौजूद नहीं था। उस दिन प्रतिवादी प्रदेश सरकार, डीएम, पुलिस आयुक्त ने असहयोग और अपनी जिम्मेदारियों का सही तरीके से निर्वहन नहीं किया।