लेबनान में ईरान समर्थित शिया चरमपंथी संगठन हिज़बुल्लाह के नेता सैय्यद हसन नसरल्लाह की हत्या के बाद, मध्य पूर्व में तनाव और बढ़ गया है। इसराइल ने नसरल्लाह की हत्या के बाद यमन में ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर भी हमले शुरू कर दिए हैं। हूती गुट को भी ईरान का समर्थन प्राप्त है, जो यमन के गृहयुद्ध में एक प्रमुख पक्ष है।
Also read: Anupam Kher Becomes the New ‘Gandhi’
इस घटना के बाद अधिकांश सुन्नी मुस्लिमों के नेतृत्व वाले अरब देशों की प्रतिक्रिया या तो चुप्पी भरी रही है या बहुत ही सावधानी से दी गई है। इन देशों के सामने दुविधा है कि वे इसराइल के साथ अपने संबंध सुधारें या फिर ईरान और हिज़बुल्लाह के खिलाफ सख्त रुख अपनाएं। नसरल्लाह का नेतृत्व हिज़्बुल्लाह के लिए निर्णायक रहा है, और उनके नेतृत्व में संगठन ने इसराइल, पश्चिमी देशों, और अपने क्षेत्रीय विरोधियों के खिलाफ मजबूती से संघर्ष किया है।
Also read: Govinda Injured at Home After Accidental Discharge of Licensed Revolver
2016 में, खाड़ी देशों और अरब लीग ने हिज़्बुल्लाह को एक आतंकवादी संगठन घोषित किया था। हालांकि, इस साल अरब लीग ने उस फैसले को वापस ले लिया, जिससे यह संकेत मिलता है कि इस क्षेत्र की राजनीति में बदलाव हो रहा है।
Also read: तिरुमला विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र सरकार से किए कड़े सवाल
[…] Also read: अरब इस्लामिक देशों में हसन नसरल्ल… […]
[…] […]