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    पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण का हुआ निधन

    Shanti Bhushan

    97 वर्षीय वरिष्ठ अधिवक्ता और भारत के पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है। वह एक वकील के रूप में अपने काम के लिए और साथ ही 2013 में आम आदमी पार्टी (आप) की स्थापना में अपने काम के लिए भारतीय राजनीति में प्रसिद्ध थे। शांति भूषण ने कांग्रेस (ओ) पार्टी के लिए राज्यसभा सांसद के रूप में भी काम किया। छह साल, और उसी अवधि के लिए भाजपा के सदस्य थे।

    शांति भूषण और उनके बेटे प्रशांत भूषण भी आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। उन्होंने 2012 में अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर AAP की स्थापना की थी। हालांकि दोनों ही कुछ समय बाद इस सियासी दल से दूर हो गए।

    अपने पिता के निधन के बात इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) ने कहा, “मैं बस इतना कह सकता हूं कि यह एक युग का अंत है। वह एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने आजादी के बाद से संविधान और कानूनी प्रणाली के विकास को करीब से देखा। उन्होंने इन अनुभवों के बारे में दो किताबों- कोर्टिंग डेस्टिनी और माई सेकेंड इनिंग्स में लिखा। मैं बस इतना कह सकता हूं कि यह हम सभी के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है।”

    Shanti Bhushan

    थे कानून मंत्री

    शांति भूषण मोरारजी देसाई की सरकार में कानून मंत्री थे। वह भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई सहित जनता की भलाई से जुड़े कई मुद्दों के लिए जिम्मेदार थे। शांति भूषण सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना आंदोलन में भी शामिल थे। उनके बेटे प्रशांत भूषण भी उनके नक्शेकदम पर चल रहे हैं।

    बतौर वकील शांति भूषण के कद का अंदाज आप इस बात से लगा सकते हैं कि साल 1974 में उनकी वजह से देश की सबसे ताकतवर प्रधानमंत्रियों में शुमार रहीं इंदिरा गांधी को अपने पद से हटना पड़ा था। दरअसल शांति भूषण ने एक प्रसिद्ध केस में राजनारायण का प्रतिनिधित्व किया था। इसी केस की वजह से इंदिरा गांधी को पीएम पद छोड़ना पड़ा था।

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