जयपुर, ब्यूरो।राजस्थान में चुनाव के समय भाजपा के 156 विधायक थे और पार्टी जिस तरह की सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही थी, उसे देखते हुए पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व कम से कम 100 विधायकों के टिकट काटना चाहता था लेकिन प्रदेश नेतृत्व इसके लिए तैयार नहीं था।
प्रदेश नेतृत्व का तर्क था कि इतनी बड़ी संख्या में टिकट काटे जाएंगे तो सरकार के कामकाज पर सवाल उठेंगे। इस बात को लेकर राजस्थान का टिकट वितरण कुछ समय के लिए टला भी।
राजस्थान में सत्ता विरोधी लहर के प्रभाव को कम करने के लिए मौजूदा विधायकों के टिकट काटकर नए चेहरों को टिकट देने की रणनीति ने भाजपा को बड़ी हार से बहुत हद तक बचा लिया। पार्टी ने जिन नए चेहरों को टिकट दिया, उनमें से करीब आधे जीतकर आ गए।
भाजपा के सात विधायक जिनमें चार मंत्री भी थे, टिकट कटने के बाद बागी के रूप में चुनाव मैदान में थे, इनमें से छह हार गए। यानि पार्टी इन्हें दोबारा टिकट देती तो यह छह सीटें और कम हो सकती थीं।
60 विधायकों के कटे थे टिकट
आखिरकार पार्टी ने 156 में से 60 विधायकों के टिकट काटे और इनकी जगह नए चेहरों को मौका दिया गया।
इन 60 में से 25 प्रत्याशी चुनाव जीतकर आ गए।
भाजपा के जिन 96 विधायकों को दोबारा टिकट दिया, उनमें से 41 फिर जीत गए। वहीं बाकी बची 44 सीटों में से सात जीतकर आए। इस तरह कुल 73 विधायकों ने पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की।
भाजपा पार्टी ने 156 में से 60 विधायकों के टिकट काटे और इनकी जगह नए चेहरों को मौका दिया गया।
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