बीते 2 दिनों में शिवपाल और अखिलेश के बीच खिंची लाइन एक इंच और बढ़ गई है। 20 अप्रैल को आगरा में शिवपाल से जुड़े सवाल पर अखिलेश ने कहा, “जो भाजपा से मिलेगा, वह सपा में नहीं दिखेगा।” इसके एक दिन बाद यानी कल शिवपाल ने अखिलेश का नाम लिए बिना एक इंटरव्यू में कहा, “अगर उन्हें मुझसे कोई दिक्कत है, तो वो मुझे पार्टी से निकाल दें।” दोनों के बयान से एक सवाल निकलता है।
क्या वाकई यादवने भाजपा में जाने का मन बना लिया है? इस सवाल का जवाब हमने बीते 26 दिनों में शिवपाल से जुड़ी घटनाओं के पैटर्न से समझा है।
पहले ग्राफिक में जानिए कैसे सपा से बढ़ती दूरियां शिवपाल के भाजपा से जुड़ने का संकेत दे रही हैं।
यादवके तेवर में आया ये बदलाव नया नहीं है। साल 2017 में योगी सरकार आने के बाद से ही यादवके बयानों में योगी के लिए सॉफ्ट कॉर्नर दिखा।
कभी उन्होंने पूरे विपक्ष को नजरअंदाज कर योगी का समर्थन किया।
तो कभी उन्होंने मंच पर UP सरकार की तारीफ के पुल बांध दिए।
आइए एक-एक करके सभी से गुजरते हैं ।
पूरा चुनाव बीत गया योगी के खिलाफ शिवपाल ने एक शब्द नहीं बोला
UP विधानसभा चुनाव के दौरान शिवपाल ने प्रदेश सरकार को बेरोजगारी और मंहगाई के मुद्दों पर घेरा।
लेकिन किसी भी चुनावी मंच से उन्होंने CM योगी के खिलाफ एक शब्द नहीं बोला।
जबकि उन्होंने इस दौरान कई ऐसे बयान दिए, जिसे सुनकर सपा कार्यकर्ता जरूर कंफ्यूज हो गए।
15 अगस्त 2021 को लोहिया संदेश यात्रा की शुरुआत करते हुए शिवपाल ने कहा, “2022 चुनाव में सरकार किसी भी दल की बने लेकिन वह सरकार का हिस्सा हर हाल में होंगे।”
इस बयान के बाद उनके भाजपा से जुड़ने की चर्चाएं तेज हो गईं।
उनकी इस बात को अखिलेश पर कटाक्ष माना गया।