बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना आज शुक्रवार को दो दिन के दौरे पर भारत आएंगी। यह दौरा मोदी सरकार के तीसरी बार सत्ता में आने के बाद किसी राष्ट्राध्यक्ष का पहला दौरा है। अपनी इस यात्रा के दौरान शेख हसीना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी मिलेंगी।
शेख हसीना, प्रधानमंत्री मोदी के निमंत्रण पर 15 दिनों के भीतर दूसरी बार भारत आ रही हैं। इससे पहले वह उन कुछ नेताओं में शामिल थीं जिन्हें नई कैबिनेट के शपथ ग्रहण में आमंत्रित किया गया था। बांग्लादेश भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति के तहत एक महत्वपूर्ण साझेदार है। शेख हसीना की इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करना है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी और शेख हसीना के बीच वार्ता के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में कई समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है।
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तीस्ता जल समझौते पर बातचीत की कोशिश
रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रधानमंत्री शेख हसीना और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच तीस्ता जल समझौते पर बातचीत की कोशिश की जाएगी। इसके साथ ही दोनों नेता गंगा जल बंटवारा संधि के नवीकरण पर भी चर्चा कर सकते हैं। 1975 में भारत द्वारा गंगा नदी पर फरक्का बांध के निर्माण पर बांग्लादेश ने नाराजगी जताई थी, जिसके परिणामस्वरूप 1996 में दोनों देशों ने गंगा जल बंटवारा संधि की थी। यह संधि 30 साल के लिए थी और अगले साल समाप्त होने वाली है।
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बांग्लादेश, भारत से तीस्ता मास्टर प्लान पर भी बातचीत करने की योजना बना रहा है। इस योजना के तहत बांग्लादेश बाढ़ और मिट्टी के कटाव को रोकने के साथ-साथ गर्मियों में जल संकट की समस्या का समाधान करना चाहता है। इसके लिए बांग्लादेश तीस्ता नदी पर एक विशाल बैराज का निर्माण करना चाहता है, जिससे पानी को एक सीमित क्षेत्र में रोका जा सके। इस परियोजना के लिए चीन ने बांग्लादेश को 1 बिलियन डॉलर की राशि सस्ते कर्ज के रूप में देने का प्रस्ताव दिया है।
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क्यों नहीं हो रहा तीस्ता जल बंटवारा समझौता
भारत और बांग्लादेश के बीच तीस्ता नदी के पानी के बंटवारे को लेकर विवाद का मुख्य कारण दोनों देशों की विभिन्न आवश्यकताएं और जल संसाधनों का उपयोग है। 414 किमी लंबी तीस्ता नदी हिमालय से निकलकर सिक्किम होते हुए पश्चिम बंगाल से गुजरती है और फिर बांग्लादेश में प्रवेश करती है, जहां यह ब्रह्मपुत्र नदी (जिसे बांग्लादेश में जमुना कहा जाता है) में मिल जाती है।
तीस्ता नदी की 83% यात्रा भारत में होती है और केवल 17% बांग्लादेश में। इस नदी का पानी सिक्किम, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के करीब 1 करोड़ लोगों की पानी से जुड़ी जरूरतें पूरी करता है। बांग्लादेश तीस्ता का 50% पानी चाहता है, जबकि भारत 55% पानी का उपयोग करने की योजना बनाता है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरोध के कारण यह समझौता अब तक नहीं हो पाया है। अगर तीस्ता जल समझौता होता है, तो पश्चिम बंगाल को नदी के पानी का मनमुताबिक उपयोग नहीं करने दिया जाएगा, जिससे वहां के स्थानीय लोगों और कृषि क्षेत्र पर असर पड़ सकता है। यही कारण है कि ममता बनर्जी इस समझौते को टालती रही हैं।
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