भारत ने अमेरिका, सऊदी अरब, और कई अन्य देशों के साथ मिलकर एक महत्वपूर्ण भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर की घोषणा की है, जिसे चीन के BRI प्रोजेक्ट के खिलाफ एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इस नए इकोनॉमिक कॉरिडोर को कुछ लोग चीन की ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ के एक विकल्प के रूप में देख रहे हैं। इस कोरिडोर की घोषणा G-20 शिखर सम्मेलन के बाहर भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली, और यूरोपीय संघ के नेताओं ने संयुक्त रूप से की। इस कॉरिडोर के बारे में जनता की राय जानने के लिए इंडिया टीवी ने एक पोल का आयोजन किया, जिसमें दिलचस्प परिणाम प्रकट हुए।
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चीन की क्यों बढ़ी टेंशन
इंडिया टीवी ने अपने पोल में जनता से सवाल पूछा था कि ‘भारत द्वारा प्रस्तावित इकोनॉमिक कोरिडोर से चीन के BRI प्रोजेक्ट को कितना प्रभाव पड़ेगा?’ और ‘हां’, ‘नहीं’ और ‘कह नहीं सकते’ के विकल्प दिए गए थे। पोल में भाग लेने वाले कुल 6771 लोगों में से केवल 7 प्रतिशत लोगों का यह मानना था कि इस कोरिडोर से चीन के BRI प्रोजेक्ट को कोई झटका नहीं पड़ेगा। उसके बजाय, 90 प्रतिशत लोगों ने इसे चीनी प्रोजेक्ट के लिए एक झटका माना, जबकि 3 प्रतिशत लोगों ने ‘कह नहीं सकते’ का विकल्प चुना। इस प्रकार, 10 में से 9 लोगों का मानना था कि नया कोरिडोर चीन के BRI प्रोजेक्ट के लिए एक झटका होगा।
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2 अलग-अलग गलियारों में पहल में शामिल होंगे।
इस इनीशिएटिव में भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप इकोनॉमिक कोरिडोर के अंतर्गत, 2 विभिन्न गलियारे शामिल होंगे – पहला गलियारा जो भारत को पश्चिम एशिया से जोड़ेगा और दूसरा गलियारा जो पश्चिम एशिया को यूरोप से जोड़ेगा। यह कोरिडोर क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करेगा, व्यापार की पहुंच को बढ़ावा देगा, व्यापारिक सुविधाओं में सुधार करेगा, और पर्यावरण, सामाजिक और सरकारी प्रभावों पर भी गहरा प्रभाव डालेगा। इस महत्वपूर्ण पहल को विभिन्न देशों के नेताओं ने ‘ऐतिहासिक’ घोषणा किया है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन भी शामिल थे।
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