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    भारत और तालिबान ने की पहली बार बातचीत, तालिबान के हाथों में परमाणु बम जाने का खतरा

    भारत और तालिबान के बीच पहली बार बातचीत हुई है।

    यदि ये सकारात्‍मक रूप से आगे भी जारी रहती है तो इसके दूरगामी परिणाम सामने आ सकते हैं।

    इसका असर भविष्‍य में कश्‍मीर में भी दिखाई दे सकता है।

    इन दिनों भौगोलिक स्तर पर हो रही तमाम हलचलों ने दुनिया को काफी परेशान कर रखा है।

    एक मसला खत्म होता नहीं है कि कोई दूसरी बड़ी मुसीबत सामने दिखाई देने लगती है।

    अफगानिस्तान पर 20 साल बाद तालिबान के दोबारा कब्जे की खबरों से उठा तूफान अभी थमा नहीं है कि एक नया दावा किया जा रहा है कि उत्तर कोरिया ने प्रतिबंधों की फिक्र छोड़ते हुए अपने एक परमाणु रिएक्टर-यंगब्यन को फिर से शुरू कर दिया है।

    इस रिएक्टर में एटमी हथियारों के लिए प्लूटोनियम तैयार किया जाता है।

    तालिबान के भारत की तरफ वार्ता का कदम बढ़ाने और वार्ता की पेशकश के बाद आखिरकार भारत ने भी बातचीत शुरू कर दी है।

    दोनों के बीच दोहा में पहली बार बातचीत हुई है।

    तालिबान से बातचीत भारत ने अपनी शर्तों पर की है

    इस भारत ने दोटूक अपनी बात तालिबान की राजनीतिक शाखा के प्रमुख शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई के समक्ष रखी हैं।

    इस बातचीत के कई मायने हैं।

    दोनों के बीच हुई इस बातचीत के तीन मुख्‍य बिंदु थे।

    इनमें पहला था आने वाले दिनों में भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी, दूसरा,उन अफगान नागरिकों को जो वहां से निकलना चाहते हैं बिना रोकटोक जाने देने इजाजत और तीसरा था अफगानिस्‍तान की भूमि को भारत के खिलाफ इस्‍तेमाल न होने देना।

    इन सभी पर फिलहाल स्‍तानिकजई ने अपनी सहमति भी जता दी है।

    आपको यहां पर ये भी बता दें कि इससे पहले भी एक बार ये अफवाह उड़ी थी कि भारत ने दोहा में तालिबान के वरिष्‍ठ नेताओं के साथ बातचीत की थी।

    हालांकि सरकार द्वारा इसका खंडन कर दिया गया था। इस बार ऐसा नहीं हुआ है।

    वर्तमान में हुई बातचीत की जानकारी सरकार ने ही सार्वजनिक की है।

    ये बातचीत इसलिए भी बेहद खास है क्‍योंकि तालिबान पहले से ही अफगानिस्‍तान में भारत सरकार द्वारा कराए गए विकास कार्यों की तारीफ करता रहा है।

    तालिबान की पूरी कोशिश है कि भारत किसी भी तरह से उससे बातचीत करे और उसका सहयोग करे।

    तालिबान ने पहले ही ये साफ कर दिया था.

    वो भारत द्वारा चलाए जा रहे विकासकार्यों को जारी रखना चाहता है।

    इसलिए वो चाहता है कि भारत बिना रोकटोक ये जारी रखे।

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