देवेंद्र फडणवीस की इस बदला राजनीति को उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ने गलत बताया है। लोगों का कहना है कि इस तरह की बदले की राजनीति एक धब्बा है, संतों और छत्रपति शिवाजी की भूमि पर।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्वीकार किया कि उन्होंने जून में शिवसेना में विभाजन में अहम भूमिका निभाते हुए बदला लिया था। यह पहली बार नहीं है कि फडणवीस ने यह स्वीकार किया है कि उन्होंने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार को गिराने में अहम भूमिका निभाई है।
धोखा देने वालों को उनकी जगह दिखानी चाहिए
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम ने आगे कहा, “राजनीति में आपको अच्छा रहना चाहिए। लेकिन अगर कोई आपके अच्छे होने का फायदा उठा रहा है और आपको धोखा दे रहा है, तो ऐसे लोगों को उनकी जगह दिखानी चाहिए। मैंने उसे उसकी जगह दिखा दी है। और मुझे खुद पर गर्व है। अगर तुमने मुझे धोखा दिया तो मैं बदला लूंगा।”
सीएम पद को लेकर हुआ था शिवसेना और बीजेपी में विवाद
दरअसल, फडणवीस जिस विश्वासघात की बात करते हैं, वह ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना का भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने और 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद सरकार बनाने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने का निर्णय है। उद्धव ने आरोप लगाया था कि यह फैसला इसलिए लिया गया था क्योंकि भाजपा मुख्यमंत्री पद को उनकी पार्टी के साथ साझा करने के अपने वादे से मुकर गई।
2019 में पुणे में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद देवेंद्र फडणवीस ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “मैं उद्धव के आवास पर जाना चाहता था और व्यक्तिगत रूप से मामले को सुलझाना चाहता था। उन्होंने एक कप चाय पर मुझसे मिलने से भी इनकार कर दिया।”
गठबंधन टूटने पर दिल्ली में भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व फडणवीस से नाराज था। पार्टी का यह मानना था कि देवेंद्र फडणवीस के बजाय नितिन गडकरी को स्थिति को संभालने के लिए कहा जाना चाहिए था। यह फडणवीस के लिए दोहरा झटका था और तभी से वह पलटवार करने और अपनी राजनीतिक ताकत साबित करने के मौके की तलाश में थे।
बदला लेने के लिए किया शिंदे का समर्थन
भाजपा के सूत्रों के मुताबिक, “शिवसेना को तोड़ना फडणवीस के लिए पार्टी के भीतर और बाहर दोनों जगह अपने विरोधियों को अपनी बात साबित करने का मौका था।” इस महीने की शुरुआत में इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में डिप्टी सीएम ने इस बारे में बात करते हुए था कि उन्हें और उनकी पार्टी को शिवसेना में फूट डालने के लिए क्या प्रेरित किया। देवेंद्र फडणवीस ने कहा था, “विपक्ष में रहते हुए, जिस तरह से उद्धव ठाकरे ने हमारी पीठ में छुरा घोंपा और जिस तरह से शिवसेना ने हमारे साथ व्यवहार किया, उसका बदला लेने के लिए हम एक अवसर की तलाश में थे। हम बदला लेना चाहते थे और इसलिए शिंदे जी का समर्थन किया।”