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    नागपुर: पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पुलिस हिरासत में, मराठा आरक्षण को लेकर कर रहे थे प्रदर्शन

    महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है। भाजपा नेता आरक्षण की मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। नागपुर में आरक्षण की मांग को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पुलिस ने हिरासत में लिया है।

    महाराष्ट्र में आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है।

    मराठा आरक्षण की मांग को लेकर भाजपा लगातार सरकार पर दबाव बना रही है।

    इसी कड़ी में आज नागपुर में ओबीसी आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पुलिस ने हिरासत में लिया है।

    फड़णवीस के साथ सैकड़ों कार्यकर्ताओं को पुलिस ने पकड़ा है।

    बता दें कि मराठा आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया था।

    सर्वोच्च अदालत ने शिक्षा और नौकरी के क्षेत्र में मराठा आरक्षण को असंवैधानिक बताया।

    मराठा आरक्षण 50 फीसदी सीमा का उल्लंघन-सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि मराठा समुदाय को कोटा के लिए सामाजिक, शैक्षणिक रूप से पिछड़ा घोषित नहीं किया जा सकता।

    यह 2018 महाराष्ट्र राज्य कानून समानता के अधिकार का उल्लंघन है।

    कोर्ट ने कहा कि हम 1992 के फैसले की फिर से समीक्षा नहीं करेंगे।

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मराठा आरक्षण 50 फीसदी सीमा का उल्लंघन है।

    महाराष्ट्र में 75% तक पहुंचा आरक्षण- देवेंद्र फडणवीस

    विभिन्न समुदायों और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को दिए गए आरक्षण को मिलाकर महाराष्ट्र में करीब 75 फीसदी आरक्षण की सीमा पहुंच गई है।

    2001 के राज्य आरक्षण अधिनियम के बाद, राज्य में कुल आरक्षण 52% था।

    12-13% मराठा कोटा के साथ राज्य में कुल आरक्षण 64-65% हो गया।

    वहीं केंद्र द्वारा 2019 में घोषित आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10% कोटा भी राज्य में लागू है।

    यह सब मिलाकर आरक्षण 75% तक पहुंच गया है।

    फड़णवीस के साथ सैकड़ों कार्यकर्ताओं को पुलिस ने पकड़ा है।

    बता दें कि मराठा आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया था।

    सर्वोच्च अदालत ने शिक्षा और नौकरी के क्षेत्र में मराठा आरक्षण को असंवैधानिक बताया।

    सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि मराठा समुदाय को कोटा के लिए सामाजिक, शैक्षणिक रूप से पिछड़ा घोषित नहीं किया जा सकता।

    यह 2018 महाराष्ट्र राज्य कानून समानता के अधिकार का उल्लंघन है।

    कोर्ट ने कहा कि हम 1992 के फैसले की फिर से समीक्षा नहीं करेंगे।

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मराठा आरक्षण 50 फीसदी सीमा का उल्लंघन है।

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