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    वक्फ बिल को जेपीसी से मंजूरी, विपक्षी प्रस्ताव खारिज

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    संयुक्त संसदीय समिति ने वक्फ बिल संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है. यह बिल अगस्त 2024 में 14 संशोधनों के साथ संसद में पेश किया गया था. जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने मीडिया से बातचीत में बताया, हमने 44 संशोधनों पर चर्चा की. छह महीने की विस्तृत चर्चा के बाद, सभी सदस्यों से संशोधन लिए गए. यह हमारी अंतिम बैठक थी, इसलिए बहुमत के आधार पर समिति ने 14 संशोधनों को मंजूरी दी. विपक्ष ने भी कुछ संशोधन सुझाए थे, जिन पर मतदान हुआ, लेकिन उन पर 10 वोट ही मिले जबकि 16 वोट उनके विरोध में पड़े, जिससे वे मंजूर नहीं हो सके.

    24 जनवरी को दिल्ली में हुई जेपीसी की बैठक में विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया. उनका कहना था कि उन्हें ड्राफ्ट में प्रस्तावित बदलावों पर अध्ययन करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी दिल्ली चुनावों को ध्यान में रखते हुए वक्फ संशोधन विधेयक पर रिपोर्ट को जल्दी संसद में पेश करने पर जोर दे रही है.

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    इमरान मसूद ने वक्फ विधेयक को लेकर उठाए सवाल

    पिछली बैठक में हंगामे के बाद कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, संसदीय परंपराओं का पालन नहीं किया जा रहा है और यह विधेयक पूरी तरह से जल्दबाजी में है. यह वक्फ की संपत्तियों को हड़पने की साजिश लगती है और इसके जरिए देश में नफरत फैलाने की कोशिश की जा रही है. हमने स्पीकर साहब से पूछा कि इतनी जल्दबाजी क्यों है, जबकि इस विधेयक को सत्र के आखिरी दिन, यानी 4 अप्रैल तक रखा जा सकता था. उन्हें चिंता है कि इस तरह की जल्दी से सभी पक्षों को अपनी बात रखने का पर्याप्त समय नहीं मिलेगा.

    यह उल्लेखनीय है कि जेपीसी की पिछली बैठक के दौरान हुए हंगामे के बाद 10 विपक्षी सांसदों को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया था. निलंबित सांसदों में कल्याण बनर्जी, मोहम्मद जावेद, ए. राजा, असदुद्दीन ओवैसी, और इमरान मसूद शामिल थे.

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    एक्ट 1995 पर उठे थे विवाद

    वक्फ (संशोधन) विधेयक पर जेपीसी को बजट सत्र के दौरान अपनी रिपोर्ट संसद में प्रस्तुत करनी है। संसद के शीतकालीन सत्र में समिति का कार्यकाल बढ़ा दिया गया था। वक्फ एक्ट 1995, जो वक्फ संपत्तियों के नियमितीकरण के लिए बनाया गया था, को अक्सर मिस-मैनेजमेंट, भ्रष्टाचार और अतिक्रमण जैसे मुद्दों के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है।

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