• Fri. Nov 22nd, 2024

    12 से 19 जुलाई के बीच लॉन्च हो सकता है चंद्रयान-3: ISRO प्रमुख 

    chandrayaan 3

    भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चेयरमैन एस सोमनाथ ने कहा कि अगर सभी परीक्षण ठीक रहे तो चंद्रमा की सतह पर उतरने की भारत की महत्वाकांक्षी योजना चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) को 12 से 19 जुलाई के बीच लॉन्च किया जाएगा। कोट्टायम जिले के वायकोम में कोथावारा के सेंट जेवियर्स कॉलेज में एक दिन की वर्कशॉप और अंतरिक्ष प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के बाद मीडिया से सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान पहले ही यू आर राव उपग्रह केंद्र से श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में लॉन्च पैड पर पहुंच चुका है।

    कोथावारा सेंट जेवियर्स कॉलेज में इसरो ने एक दिवसीय कार्यशाला और अंतरिक्ष प्रदर्शनी का आयोजन किया। इसके उद्घाटन के मौके पर पहुंचे इसरो प्रमुख सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान पहले ही यू आर राव उपग्रह केंद्र से श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में लॉन्च पैड पर पहुंच चुका है। अंतिम तैयारी चल रही है। इसे इस महीने के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा। 

    आगे उन्होंने कहा कि लॉन्च के लिए रॉकेट एलवीएम-3 का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसकी असेंबली चल रही है। इसके लिए सभी पुर्जे श्रीहरिकोटा पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा, जून के अंतिम सप्ताह में चंद्रयान-3 को रॉकेट से जोड़ने की प्रक्रिया शुरू होगी और कई टेस्ट होंगे। सोमनाथ ने कहा, हमारे पास चंद्रयान-3 को रवाना करने के लिए 12 से 19 जुलाई के बीच एक विंडो है। इसी दौरान इसे लॉन्च करना होगा। वैसे हम इसे बाद में भी कर सकते हैं लेकिन उस स्थिति में ईंधन का बहुत नुकसान होगा। हालांकि लॉन्च इस विंडो में तभी किया जाएगा जब सभी परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे होंगे।

    chandrayaan 3

    इसरो प्रमुख सोमनाथ ने कहा कि लॉन्च तभी किया जाएगा जब सभी परीक्षण सफलतापूर्वक किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि आगामी प्रक्षेपण के दौरान किसी तरह की दिक्कत न हो इसके लिए चंद्रयान-3 के हार्डवेयर, संरचना, कंप्यूटर, सॉफ्टवेयर और सेंसर में सुधार किया गया है। सात ही बताया कि यान में अधिक ईंधन जोड़ा गया है, लैंडिंग लेग्स को और मजबूत किया गया है। अधिक ऊर्जा उत्पादन के लिए बड़े सौर पैनल लगाए गए हैं। एक और अतिरिक्त सेंसर भी जोड़ा गया है।

    आगे बताया कि इसकी गति को मापने के लिए, एक ‘लेजर डॉप्लर वेलोसिमीटर’ उपकरण जोड़ा गया है, जिसे पिछले साल विकसित किया गया था। इसरो प्रमुख ने कहा, हमने इसके एल्गोरिदम को भी बदला है और चंद्रयान को किसी अन्य क्षेत्र में उतरने में मदद करने के लिए नया सॉफ्टवेयर जोड़ा गया है।

    Share With Your Friends If you Loved it!