त्योहारों के सीजन में आमतौर पर कपड़े और इलेक्ट्रिक उपकरण जैसे कई वस्तुओं पर बड़े पैमाने पर सेल लगती है। इसी दौरान भारतीय रेलवे ने ट्रेन के इंजनों की भी एक सेल शुरू की है। रेलवे ने 80 से अधिक पुराने डीजल इंजन की सेल लगाई है। वास्तव में, पश्चिम मध्य रेलवे पूरी तरह से इलेक्ट्रीफाइड हो गया है, जिससे उनके पास खड़े इन 80 से ज्यादा डीजल इंजनों की अब कोई जरूरत नहीं है। इसी वजह से रेलवे ने इन्हें अपने यार्ड में खड़ा कर दिया है और इनकी बिक्री शुरू कर दी है।
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भारतीय रेलवे : इलेक्ट्रिफिकेशन के बाद बिक्री का फैसला
जानकारी के अनुसार, पश्चिम मध्य रेलवे के कुछ इंजन अब कबाड़ हो चुके हैं, जबकि कुछ डीजल इंजन की हालत बहुत अच्छी है और वे सभी चालू स्थिति में हैं। रेलवे ने अपने ट्रैक का इलेक्ट्रिफिकेशन पूरा कर लिया है, जिससे अब इन पुराने डीजल इंजनों की जरूरत नहीं रही। इन्हें चलाना और बनाए रखना रेलवे के लिए महंगा हो गया है, इसलिए रेलवे ने इन करोड़ों रुपये के इंजनों को बेचने का फैसला किया है। पश्चिम मध्य रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक, भारत में अधिकांश रेलवे ट्रैक इलेक्ट्रीफाइड हो चुके हैं, लेकिन बांग्लादेश जैसे कुछ छोटे देशों में अब भी डीजल इंजन का उपयोग होता है।
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करोड़ों की कीमत के बावजूद खरीददार नहीं
रेलवे का एक डीजल इंजन लगभग 4500 हॉर्स पावर का होता है। एक नए डीजल इंजन की कीमत लगभग 10 करोड़ रुपए होती है। रेलवे ने कुछ वर्षों पहले अच्छी हालत में दो इंजन बेचे थे। इससे पश्चिम मध्य रेलवे को करीब 5 करोड़ रु प्राप्त हुए थे। इसके अलावा कबाड़ हो चुके ओवर ऐज 28 लोकोमोटिव 27 करोड़ रुपए में बेचे गए थे। आज की स्थिति में पश्चिम मध्य रेलवे के पास 80 लोकोमोटिव इंजन हैं, जिन्हें रेलवे बेचने की कोशिश कर रहा है लेकिन अबतक कोई खरीददार सामने नहीं आया है।
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