भारत ने सोमवार को अग्नि-5 ‘मिशन दिव्यास्त्र’ नामक एक न्यूक्लियर बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया, जिसकी क्षमता पांच हजार किलोमीटर तक है। इस परीक्षण के बाद, भारतीय मिसाइलों की ताकत को लेकर पाकिस्तान और चीन के बीच नए संकेत उभरे हैं। भारतीय स्पेस एसोसिएशन के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अनिल भट्ट (रिटायर्ड) और अन्य कई विशेषज्ञों ने इस सफलता को भारत के लिए गर्व की बात बताया।
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‘मिशन दिव्यास्त्र’: भारत के लिए गर्व का पल
पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल अनिल भट्ट ने उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त करने पर व्यक्त किया कि ‘मिशन दिव्यास्त्र’ भारत के लिए गर्व का पल है। भारत द्वारा विकसित अग्नि-5 मिसाइल, जिसमें MIRV तकनीक है, एक मिसाइल में कई वारहेड तैनात करने की क्षमता प्रदान करती है। इस परीक्षण के बाद, भारत MIRV तकनीक के चुनिंदा समूह में शामिल हो गया है। इस मिसाइल में लगे सेंसर्स और एवियोनिक्स भारतीय तकनीकी क्षमता का प्रतीक हैं, जो देश में निर्मित हैं। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए डीआरडीओ के सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी।
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‘अग्नि-5: विशेषता और उपयोगिता’
अग्नि-5 नामक लंबी दूरी की मिसाइल, डीआरडीओ द्वारा विकसित की गई है, जो मल्टीपल इंडीपेंडेंटली टारगेटेबल रि-एंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक पर आधारित है। इस तकनीक की मदद से एक ही मिसाइल से कई टारगेट को निशाना बनाया जा सकता है। इसके साथ ही, अग्नि मिसाइल को परमाणु हथियारों को ले जाने में भी कामयाबी प्राप्त है। अभी तक, एमआईआरवी तकनीक केवल अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, और ब्रिटेन के पास ही है, और इस मिसाइल को जमीन, समुद्र, और पनडुब्बी से लॉन्च किया जा सकता है। खबरों के मुताबिक, पाकिस्तान और इस्राइल भी ऐसे मिसाइल सिस्टम को विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं।
MIRV तकनीक की विशेषता यह है कि इससे कई हथियारों को एक साथ ले जाया जा सकता है और इन हथियारों को विभिन्न गतियों और दिशाओं में ले जाकर टारगेट को निशाना बनाया जा सकता है। यह तकनीक बहुत ही चुनौतीपूर्ण है और इसलिए केवल कुछ ही देशों के पास इसकी विकास की क्षमता है। अमेरिका ने 1970 में ही MIRV तकनीक का विकास किया था और अब भारत भी उन देशों में शामिल हो गया है जिनके पास यह तकनीक है।
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