नए आयकर विधेयक-2025 की धारा 247 किसी अधिकृत अधिकारी को कंप्यूटर सिस्टम या वर्चुअल डिजिटल स्पेस (वीडीएस) के एक्सेस कोड को बायपास कर उसकी जानकारी प्राप्त करने का अधिकार देती है. इस नए प्रावधान के तहत, आयकर अधिकारी केवल छापे या तलाशी अभियान के दौरान ही करदाता के डिजिटल और सोशल मीडिया खातों, साथ ही उनके कंप्यूटर उपकरणों की जांच कर सकते हैं. आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को स्पष्ट किया कि यह प्रावधान नया नहीं है, बल्कि 1961 के आयकर अधिनियम में पहले से मौजूद शक्तियों का ही दोहराव है. इस प्रावधान का उद्देश्य करदाताओं की ऑनलाइन गोपनीयता का उल्लंघन करना नहीं, बल्कि कर अनुपालन को सुनिश्चित करना है.
अधिकारी ने बताया, छापे या तलाशी अभियान के दौरान भी इस शक्ति का इस्तेमाल तभी होगा, जब करदाता डिजिटल स्टोरेज ड्राइव, ईमेल, क्लाउड और वॉट्सएप या टेलीग्राम जैसे संचार प्लेटफॉर्म के पासवर्ड साझा करने से इन्कार करेगा. अगर किसी करदाता का मामला जांच के दायरे में आ जाए, तो भी उसकी गोपनीयता बरकरार रखी जाएगी.
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मीडिया रिपोर्टों और विशेषज्ञों के दावों को खारिज किया गया
अधिकारी ने कुछ मीडिया रिपोर्ट और विशेषज्ञों के उस दावे को खारिज किया कि कर अधिकारियों को करदाताओं के ईमेल, सोशल मीडिया हैंडल और क्लाउड स्टोरेज स्पेस सहित इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड तक पहुंच हासिल करने के अतिरिक्त अधिकार दिए गए हैं। उन्होंने कहा, ऐसी खबरें सिर्फ डर फैलाने के लिए हैं. आयकर विभाग करदाता के सोशल मीडिया खाते या ऑनलाइन गतिविधियों की जासूसी नहीं करता है.
नए आयकर बिल-2025 की धारा 247 एक प्राधिकृत अधिकारी को कंप्यूटर सिस्टम या वर्चुअल डिजिटल स्पेस (वीडीएस) के एक्सेस कोड को ओवरराइड कर पहुंच प्राप्त करने का अधिकार देती है. अधिकारी ने कहा, वर्चुअल डिजिटल स्पेस से जुड़े प्रावधान उन मामलों पर भी लागू नहीं होते हैं, जिनकी जांच चल रही है. इसे सिर्फ छापे या तलाशी प्रक्रिया के दौरान ही लागू किया जाता है. वह भी कार्रवाई शुरू होने से पहले नहीं.
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