देश में रियल एस्टेट सेक्टर की बिक्री में फाइनेंशियल इयर 2023 में 30-35% बढ़ोतरी की उम्मीद है। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में दैनिक भास्कर की तरफ से आयोजित रियल एस्टेट कॉन्क्लेव में मौजूद देशभर के बड़े डेवलपर्स ने यह संभावना जताई है। बिजनेस और नॉलेज बेस्ड इस कॉन्क्लेव में मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़ समेत देशभर के 100 से ज्यादा डेवलपर्स और बिल्डर्स ने हिस्सा लिया।
प्रॉपर्टी कंसल्टेंट कंपनी एनारॉक के अनुज पुरी ने 2.9 करोड़ घरों की कमी का जिक्र करते हुए कहा कि इसे पूरा करने के लिए न सिर्फ मेट्रो शहरों|
बल्कि टियर-2 और टियर-3 शहरों में बड़े पैमाने पर डेवलपमेंट करने की जरूरत है।
टेक्नोलॉजी और IT-BPM कंपनियों में सबसे ज्यादा ऑफिस स्पेस की डिमांड रहने वाली है।
यह डिमांड टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी होगी।
दैनिक भास्कर ग्रुप के प्रमोटर डायरेक्टर गिरीश अग्रवाल ने इस कॉन्क्लेव को लर्निंग कॉन्क्लेव बताया।
वहीं, मेट्रो शहरों के इंडस्ट्री लीडर्स ने टियर-2 और टियर-3 के डेवलपर्स के साथ अपने अनुभव साझा किए।
इस कॉन्क्लेव में एनारॉक के सुनील मिश्रा, मायएचक्यू के उत्कर्ष कवात्रा, अपनाकॉम्पलेक्स के शाजाई जैकोबी|
डाटा सूत्रम रजित भट्टाचार्य और मोहित कुमार बागड़ी ने भी अलग-अलग विषयों पर डेवलपर्स का मार्गदर्शन किया।
दैनिक भास्कर ग्रुप के प्रमोटर डायरेक्टर गिरीश अग्रवाल ने इस कॉन्क्लेव को लर्निंग कॉन्क्लेव बताया
CNBC आवाज के रियल एस्टेट एडिटर विपिन भट्ट ने ‘रियल एस्टेट में पूंजीगत लागत को कैसे कम करें और रियल एस्टेट में उभरते निवेश रुझानों को कैसे डिकोड किया जाए’ सेशन को मॉडरेट किया।
इस सेशन में कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी (KMAMC) के निलेश शाह|
और HDFC कैपिटल के विपुल रूंगटा ने बताया कि बिल्डर्स को क्रेडिबिलिटी|
और ब्रांड बिल्डिंग के लक्ष्य को ध्यान में रखकर काम करना चाहिए।
अगर वे ऐसा करते हैं, तो नए निवेशक अपने आप रियल एस्टेट में निवेश करने आएंगे।
निलेश शाह और विपुल रूंगटा ने रेरा की तरफ से कंज्यूमर और डेवलपर्स के हितों की रक्षा करने और उनमें तालमेल बैठाए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि वर्क फ्रॉम होम (WFH) की वजह से घरों की डिमांड बढ़ी है और कीमतों की स्थिरता की वजह से लोगों की घर खरीदने की क्षमता में भी सुधार हुआ है। उन्होंने देशभर से आए डेवलपर्स को सुझाव दिया कि रियल एस्टेट इंडस्ट्री को ट्रांसपेरेंसी और गवर्नेंस में सुधार करके पूंजीगत लागत को कम करना चाहिए।