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    यूनियन की मांग-डीजल की कीमतें रोज बढ़ाना बंद हो

    साल भर में डीजल, टोल और इंश्योरेंस जैसी लागत बढ़ने से ट्रक यूनियन के मालभाड़े में 20% यानी 5 से 7 रुपए प्रति किमी का इजाफा हो गया है। देश में हाल में बढ़ी चौतरफा महंगाई की एक बड़ी वजह है, क्योंकि फल-सब्जी से लेकर अनाज, सीमेंट, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद तक सभी ट्रकों के जरिए ही ट्रांसपोर्ट होते हैं।

    डीजल में 1 रुपए का इजाफा होने से माल भाड़ा 60 पैसे बढ़ रहा

    ट्रकों की ऑपरेटिंग लागत में 65 से 70% खर्च डीजल का होता है। इसके अलावा, टोल टैक्स और इंश्योरेंस दूसरे प्रमुख खर्च हैं। इन तीनों में बीते सालभर में 25% तक इजाफा हुआ है। ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन (AITWA) के मुताबिक, अगर डीजल में 1 रुपए का इजाफा होता है तो माल भाड़ा 50 से 60 पैसे बढ़ जाता है।

    किराया भी 42 रुपए प्रति किलोमीटर हुआ

    सालभर पहले 10 पहिए के ट्रक की प्रति किलोमीटर लागत 32.81 रुपए थी और किराया प्रति किमी 34-35 रुपए था।

    अब लागत बढ़ गई है तो किराया भी लगभग 40-42 रुपए प्रति किलोमीटर हो गया है।

    पूरे देश में भाड़े की एक समान दर नहीं है। जहां से रिटर्न लोड नहीं मिलता वहां पर भाड़ा ज्यादा लगता है।

    ट्रांसपोर्टर्स यूनियन की तीन मांगें

    1. डीजल पर लिया जाने वाला 55% टैक्स कम किया जाए। राज्य भी डीजल पर वैट घटाएं।
    2. डीजल की कीमतों की दैनिक समीक्षा के बजाय पहले जैसे तिमाही आधार पर समीक्षा हो।
    3. पूरे देश में डीजल के दाम एक समान हों और ट्रकों के लिए प्रति किमी न्यूनतम भाड़ा तय हो।

    कोविड के बाद पिछले साल 70-75 फीसदी तक रिकवरी हुई थी, पर डीजल से एक बार फिर स्थिति बिगड़ गई।

    कमोडिटी के दाम बढ़ने और आम उपभोक्ता वस्तुओं की खपत कम होने से ट्रकों की डिमांड भी कम हो गई।

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